CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान पुनरावृति नोटस पाठ-9 वैश्वीकरण
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CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान पुनरावृति नोटस पाठ-9 वैश्वीकरण


CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान पुनरावृति नोटस पाठ-9 वैश्वीकरण

स्मरणीय बिन्दु-
  1. बीसवीं शताब्दी के अन्तिम 10 वर्षों में एक परिवार, एक राज्य, एक विश्व की भावना का विकास हुआ। यह भावना वैश्वीकरण कहलाती है अर्थात विश्व एकीकरण की भावना वैश्वीकरण है।
  2. वैश्वीकरण-वैश्वीकरण एक अवधारणा है, जिसका सम्बन्ध प्रवाह से लिया जाता है। प्रवाह कई प्रकार के हो सकते हैं। विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना, पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना, वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना और उनका व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही। यहाँ सबसे जरूरी बात है 'विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव', जो ऐसे प्रवाहों की निरन्तरता से पैदा हुआ है और कायम भी है।
  3. विश्व के विभिन्न भागों में क्रांति लाने वाले साधन हैं-टेलीग्राफ, टेलिफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कार।
  4. प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तरक्की संभव हो पाई निम्न कारणों से-विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही से।
  5. वैश्वीकरण आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक बहुआयामी अवधारणा है।
  6. बहुराष्ट्रीय निगम-बहुराष्ट्रीय निगम ऐसी कम्पनियाँ हैं, जो विभिन्न देशों में एक-साथ अपनी आर्थिक गतिविधियाँ चलाती हैं, जैसे-पूँजी निवेश, उत्पादन, वितरण और व्यापार आदि।
  7. वैश्वीकरण का राजनीतिक प्रभाव-राज्य लोक कल्याणकारी राज्य की जगह, अब आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है। पूरे विश्व में बहुराष्ट्रीय निगम पैर पसार चुके हैं और उनकी भूमिका बढ़ी है। इससे सरकारों के अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आई है।
  8. वैश्वीकरण का आर्थिक प्रभाव-वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में इजाफा हुआ है। धनी देश के निवेशकर्त्ता अपना धन अपने देश की जगह कहीं और निवेश करते हैं। वैश्वीकरण के कारण जिस सीमा तक वस्तुओं और पूँजी का प्रवाह बढ़ा है, उस सीमा तक लोगों की आवाजाही नहीं बढ़ सकी।
  9. वैश्वीकरण का सांस्कृतिक प्रभाव-राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है। पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।
  10. विश्व की महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थाएँ हैं-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन।
  11. मैक्डोनॉल्डीकरण-विभिन्न देशों की संस्कृतियाँ अपने-आप को प्रभुत्वशाली अमरीकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं।
  12. भारत में वैश्वीकरण की नीति की शुरुआत 1991 में हुई।
  13. संरक्षणवाद-अपने देश की धरोहर का संरक्षण करना ही संरक्षणवाद है। भारत दूसरे देशों की निर्यात की अनुमति नहीं देगा, ताकि हमारे अपने उत्पादक चीजों को बनाना सीख सकें। यह भारत ने स्वतंत्रता के बाद निर्णय लिया।
  14. वैश्वीकरण की विश्वव्यापी आलोचना हो रही है, क्योंकि इससे धनिक ओर धनिक तथा निर्धन और निर्धन होते जा रहे हैं।
  15. साम्राज्यवाद-जब कोई भी देश किसी अन्य देश के क्षेत्र पर आर्थिक और राजनीतिक आधिपत्य स्थापित करता है, तो ऐसी स्थिति को साम्राज्यवाद कहते हैं।
  16. पुन: उपनिवेशीकरण-विभिन्न देशों (ब्रिटेन, डच, पुर्तगाल, फ्रांस) ने एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमरीका को वर्षों तक उपनिवेश बनाए रखा तथा लंबे संघर्ष के बाद इन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त की है। अब ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के माध्यम से किसी भी देश का दोबारा उपनिवेश नहीं बनना चाहते।
  17. पारस्परिक निर्भरता-आज प्रत्येक देश अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरे देश पर निर्भर करता है। यही पारस्परिक निर्भरता है।
वैश्वीकरण-
  • विश्व के देशों का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक मेल मिलाप।
  • व्यक्ति, वस्तु, विचार, पूंजी का एक देश से दूसरे देश में मुक्त प्रवाह।
  • वैश्वीकरण न पूर्णतः आर्थिक, न पूर्णतः राजनीतिक, न पूर्णतः सामाजिक मेल है बल्कि इन सबका
  • मिला जुला प्रभाव है।
वैश्वीकरण के उदाहरण:-
  • विभिन्न विदेशी वस्तुओं की भारत में उपलब्धता।
  • युवाओं को कैरियर के विभिन्न नए अवसरों का मिलना।
  • किसी भारतीय का अमेरिकी कैलेंडर एवं समयानुसार सेवा प्रदान करना।
  • फसल के खराब हो जाने से कुछ किसानों द्वारा आत्म-हत्या कर लेना।
  • अनेक खुदरा (रिटेल) व्यापारियों को डर है कि रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) लागू होने से बड़ी रिटेल कम्पनियाँ आयेंगी और उनका रोजगार छिन जायेगा।
  • लोगों के बीच आर्थिक असमानता में वृद्धि।
    ये उदाहरण सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकृति के हो सकते है। वैश्वीकरण के प्रभाव मुख्यत: तीन प्रकार के है राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक।
वैश्वीकरण की विशेषताएंः-
  1. आपसी जुड़ाव पर बल
  2. आपसी जुड़ाव से हितों में समानता
  3. आपसी जुड़ाव से संस्कृतियों में अन्तः क्रिया
  4. प्रवाह में गतिशीलता
  5. उदार पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ावा
  6. साझा बाजार को बढ़ावा
  7. वैश्विक समस्याओं का हल, वैश्विक सहयोग
  8. विभिन्न आर्थिक घटनाएँ जैसे मंदी और तेजी तथा महामारियों जैसे एंथ्रेक्स, इबोला, HIV AIDS, स्वाइन फ्लू जैसे मामलों में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव
वैश्वीकरण के कारण:-
  1. विज्ञान व तकनीक का विकास FDI
  2. देशों की आपसी निर्भरता
  3. वैश्वित घटनाओं का वैश्विक प्रभाव
  4. परिवहन तथा संचार साधनों में उन्नति
  5. उदारीकरण की नीति। बाजार व्यवस्था
  6. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा विश्व को एक बाजार बनाने का प्रयास
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव:-

सकारात्मक प्रभाव-नकारात्मक प्रभाव-
सूचना तकनीक की उन्नति से राज्य की कार्य क्षमता में वृद्धि।कल्याणकारी राज्य का स्थान उदारवादी राज्य ने लिया।
आंतरिक प्रशासन प्रभावशाली।अहस्तक्षेप की नीति से राज्य के कार्य क्षेत्र में कमी।
आपसी सहयोग से आतंकवाद पर अंकुश संभव।बहुराष्ट्रीय नियमों के कारण राज्य की विदेश नीति प्रभावित।
बहुराष्ट्रीय नियमों के कारण राज्य की सीमाओं पर नियंत्राण प्रभावित।
वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव:-
  1. सकारात्मक प्रभाव-
    1. अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्धारण।
    2. आर्थिक प्रभाव बढ़ा।
    3. खुलेपन के कारण गरीबी कम हुई।
    4. समान व्यापारिक तथा श्रम नियमों से संतुलित आर्थिक विकास।
  2. नकारात्मक प्रभाव:-
    1. पूंजीवादी व्यवस्था से अमीरों की संख्या कम तथा गरीबों की संख्या अधिक हुई।
    2. सरकार ने गरीब व वंचित वर्गों के कल्याण कार्य व सुरक्षा कार्य कम हुए।
    3. आर्थिक संस्थाओं ने गरीब देशों के हितों की अनदेखी की।
    4. बहु राष्ट्रीय कम्पनियों से कुटीर उद्योगों को नुकसान तथा बेरोजगारी बढ़ी।
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव-
  1. सांस्कृतिक समरूपता द्वारा विश्व में पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा।
  2. खाने-पीने एवं पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि।
  3. लोगों में सांस्कृतिक परिवर्तनों पर दुविधा।
  4. संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर।
  5. सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण जिसमें प्रत्येक संस्कृति कही ज्यादा अलग और विशिष्ट हो रही है।
आर्थिक परिणाम:-
  1. व्यापारिक प्रतिबंधें की कमी - देशों द्वारा आयात वस्तु पर प्रतिबंध लगाते थे उसमें कमी होना और निवेशकों द्वारा दूसरे देशों में धन लगाकर अधिक मुनाफा प्राप्त करना।
  2. वीजा नीति - विकसित देश इस नीति द्वारा अपने राष्ट्र कर सीमाओं को अभेद्य बनाये रखते हैं ताकि दूसरे देश के नागरिक विकसित देशों में आकर नौकरी धंधे न हथिया लें।
  3. सामाजिक सुरक्षा कवच - इस नीति द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर तबको पर दुष्प्रभाव को कम करने की कोशिश की जायेगी।
वैश्वीकरण के सामाजिक प्रभाव:-
सकारात्मक (लाभ) प्रभाव-नकारात्मक (हानि) प्रभाव-
विदेशी संस्कृतियों के मेल से पसंदो का क्षेत्र बढ़ा।धनी देशों की संस्कृति गरीब देशों के समाज पर प्रभावी।
वेशभूषा परिवर्तन।संस्कृति की मौलिकता समाप्त।
मेल मिलाप से खाद्य व्यवस्था प्रभावित।विकासशील देशों की संस्कृतियों का पश्चिमीकरण।
युवा पीढ़ी में तनाव।
वैश्वीकरण का प्रतिरोध:-
  • वामपन्थी विचार के अनुसार वैश्वीकरण धनी वर्ग को बढ़ावा देकर, धनी तथा गरीब के अन्तर को बढ़ाया है।
  • दक्षिण पंथी विचारक संस्कृतियों की मौलिकता समाप्त तथा घरेलू उद्योगों पर हुए बुरे प्रभाव के कारण वैश्वीकरण का विरोध करते है।
  • विश्व स्तर पर वैश्वीकरण का विरोध करने के लिए World Social Forum नामक मंच बनाया गया है इस मंच की पहली बैठक 2001 में पोर्ट अलगोरे में हुई।
भारत और वैश्वीकारण-
  • ब्रिटिश भारत कच्चे माल का निर्यातक तथा तैयार माल का आयातक था। स्वतंत्रता के बाद घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए संरक्षण वाद की नीति अपनाई गई परन्तु आर्थिक वृद्धि दर धीमी रही। 1991 में विकास दर बढ़ाने के लिए आर्थिक सुधार कर विदेशी निवेश पर भारत में बल दिया गया।
  • आजादी के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाकर अपने घरेलू उत्पादों पर जोर दिया ताकि भारत आत्मनिर्भर रहे।
  • आज वैश्वीकरण के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रहो है। जो 1990 में 5.5 प्रतिशत वार्षिक थी।
  • भारत के अनिवासी भारतीय विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है।
  • भारत के लोग कम्प्यूटर में अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब रहे है।
  • आज भारतीय लोग वैश्विक स्तर पर उच्च पदों पर आसीन होने में सफल हुए है।
भारत निम्नलिखित तरीकों से वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है-
  • भारत से लोग विदेशों में जाकर अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाज को बढ़ावा दे रहे है।
  • भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व के देशों को अपनी और आकर्षित किया है।
  • भारत ने कम्पयूटर एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र प्रगति करके अपना प्रभुंत्व जमाया है।
भारत व वैश्वीकरण का विरोध:-
  • सामाजिक आन्दोलनों तथा वामपंथी विचारकों ने इसके आर्थिक पक्ष का विरोध किया।
  • दक्षिण पंथी विचारकों ने इसके सांस्कृतिक पक्ष का विरोध किया जिसमें टी.वी. चैनलों पर पश्चिमी।
  • प्रभाव तथा वैलेन्टाइन डे आदि शामिल हैं।
  • वामपंथी विचारक इसके विभिन्न पक्षों की आलोचना करते है।
  • राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है।
  • आर्थिक क्षेत्र में वे कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता एवं संरक्षणवाद का दौर कायम करना चाहते है।
  • सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर तरीकों से हाथ धो देंगे।
  • वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच है इसके तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता आते है।
  • 1999 में सिएट्ल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री-स्तरीय बैठक का विरोध हुआ जिसका कारण आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर -तरीकों के विरोध में हुआ।
एक इंटरनेशनल रिसर्च के दावे के अनुसार:-
  • विश्व व्यापार में अमेरिका और यूरोपीय भागीदारी घट रही है और विकासशील देश अपनी बढ़ती उपभोक्ता मांगो, खास जरूरतों और सस्ते यातायात के कारण आपस में ज्यादा-से-ज्यादा व्यापार करने लगे हैं।
  • अमेरिका व यूरोपीय कंपनी के लिए एशिया में कारोबार स्थापित करना तो आसान है लेकिन लागत और कीमत के अनुपात में स्थानीय उत्पादों से मुकाबला कर पाना कठिन है वे कम लागत और सीमित मार्जन का मंत्र जानती है।
  • समान आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों वाले देश एक दूसरे की जरूरतों को बेहतर समझते है जैसे:- भारत के ग्रामीण रास्तों पर पंचर न होने वाले टायरों की जरूरत को चीन ने समझा।

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तरपाठ-9वैश्वीकरण


1. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।
(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।
(ग) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण समान है।
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।
उत्तर- (घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।

2. वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।
(ख) सभी देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है।
(ग) वैश्वीकरण का असर सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है।
(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यतया, सांस्कृतिक समरूपता आती है।
उत्तर- (क) देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।

3. वैश्वीकरण के कारणों के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण का एक महत्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिक है।
(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है।
(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ।
(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है।
उत्तर- (क) वैश्वीकरण का एक महत्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।

4. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण का संबंध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।
(ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।
(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्व गौण है।
(घ) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर- (घ) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।

5. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन गलत है?
(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक स्मृद्धि बढ़ेगी।
(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज्यादा बढ़ेगी।
(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
उत्तर- (घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।

6. विश्वव्यापी 'पारस्परिक जुड़ाव' क्या हैं? इसके कौन-कौन से घटक हैं?
उत्तर- विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का तात्पर्य है कि विश्व के अनेक देश एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। संचार साधनों के विकास के कारण हम विश्व में कही भी आसानी से आ-जा सकते हैं और अपने विचारों का प्रवाह भी टेलीग्राफ, टेलीफोन और इंटरनेट के नवीनतम आविष्कारों के द्वारा से आसानी से कर सकते हैं। इन नवीनतम अविष्कारों ने विश्व के अनेक भागों के मध्य संचार की क्रांति ला दी है। मुद्रा के बदलेएक्सचेंज ने भी संसार को जोड़ा है। आज विश्व के किसी भी हिस्से में घटने वाली घटना का प्रभाव विश्व के दूसरे हिस्से पर भी पड़ता है। बर्ड फ्लू तथा सुनामी एक राष्ट्र की हदों में नहीं सिमटे रहते। ये घटनाएँ राष्ट्रीय सीमाओं का जोर नहीं मानतीं। इसी प्रकार आर्थिक घटनाएँ हैं, जिनका प्रभाव भी सम्पूर्ण विश्व पर पड़ता है।
वैश्वीकरण के घटक हैं- वस्तु, विचार, पूँजी और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही।

7. वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?
उत्तर- वैश्वीकरण पर प्रौद्योगिकी का विशेष प्रभाव पड़ा है। संचार साधनों की तरक्की और उनकी उपलब्धता से ही वैश्वीकरण अस्तित्व में आया। 1990 के दशक में आई प्रौद्योगिकी क्रांति ने विश्व को  अधिक नजदीक ला दिया है या छोटा कर दिया है। टेलीग्राम, टेलीफोन तथा इंटरनेट जैसे संचार के साधनों ने विश्व को जोड़ने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। प्रौद्योगिकी के साधनों के कारण ही विश्व के विभिन्न भागों मेंपूँजी, वस्तुओं, विचार,और लोगों की आवाजाही आसान हो गई है। प्रारम्भ में जब छपाई (मुद्रण) की तकनीक आई थी, तो उसने राष्ट्रवाद की नीव रखी थी। इसी तरह आज हम यह अपेक्षा करते हैं कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे सोचने के तरीके पर पड़ेगा। आज हमारी सोच और सामूहिक जीवन पर भी प्रौद्योगिकी का असर देखा जा सकता है। विश्व के विभिन्न भागों के मध्य पूँजी और वस्तु की गतिशीलता, लोगों की आवाजाही की तुलना में अधिक तेज और व्यापक है। प्रौद्योगिकी के कारण विश्व के विभिन्न भागों के लोग एक-दूसरे से जुड़ गए हैं।

8. वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर- वैश्वीकरण ने पूरी दुनिया को एक छोटे घड़े का रूप दे दिया है। बहुराष्ट्रीय निगमें पूरे विश्व में पैर पसार चुकी हैं। वैश्वीकरण के कारण राज्यों की भूमिका में निम्न  परिवर्तन आए हैं:
  1. वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता यानी सरकारों के कार्य  करने की ताकत में कमी आई है। पुरी दुनिया में कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गई है और इसका स्थान न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया हैं।
  2. राज्य के कार्य सीमित हो गए हैं, जैसे कानून और व्यवस्था को बनाए रखना और अपने नागरिकों की रक्षा करना। अब राज्य ने लोक-कल्याणकारी कार्यों से अपने हाथ खींच लिए हैं, जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक विकास होता था। आज बाजार आर्थिक और सामजिक पहल पर निर्भर हैं।
  3. वैश्वीकरण से हमेशा राज्य की ताकत में कमी नहीं आती। राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को आज भी चुनौती नहीं मिली है। इस अर्थ में आज भी राज्य प्रमुख है। राज्य कानून और व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अनिवार्य कार्य को पूरा कर रहे हैं। जहाँ उनकी मर्जी नहीं वहाँ से पैर पीछे खींच रहे हैं। इस संदर्भ में राज्य आज भी महत्वपूर्ण हैं।
  4. वैश्वीकरण के कारण राज्यों की ताकत भी बढ़ी है। अब राज्यों के हाथ में अत्याधुनिक प्रोद्योगिकी मौजूद है, जिनके कारण राज्य अपने नागरिकों के लिए सूचनाएँ जुटा सकते हैं। सुचना प्रौद्योगिकी के आधार पर राज्य अच्छा कार्य कर रहे है। राज्य की क्षमता बढ़ी है, कम नहीं हुई है। नई प्रौद्योगिकी के आधार पर राज्य अब ज्यादा ताकतवर बन गए हैं।

9. वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं? इस संदर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है?
उत्तर- वैश्वीकरण मुख्यत: आर्थिक क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ है। वैश्वीकरण के कारण एक देश की पूँजी का प्रवाह अन्य देशों में हुआ है। वैश्वीकरण के कारण दुनिया के अनेक देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तेज हो चुका है। कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं। जबकि कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और ताकतवर देशों द्वारा जबरन लादे जाते हैं। ये प्रवाह कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे-वस्तुओं, पूँजी, जनता अथवा विचारों का प्रवाह। वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में बढ़ोतरी हुआ है। अनेक देशों द्वारा लगाए जाने वाले आयात पर प्रतिबंध कम हो गए हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का पुन: उपनिवेशीकरण कहा है। आज सभी देश अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियों का असर भारत पर भी पड़ा। 1991 में नई अर्थिक नीति अपनाकर भारत वैश्वीकरण और उदारीकरण के साथ जुड़ गया। 1991 में वित्तीय संकट से  निपटने और आर्थिक वृद्धि की ऊँची दर हासिल करने की इच्छा से भारत में आर्थिक सुधारों की योजना प्रारम्भ  हुई। कर्नाटक में सूचना क्रांति, महाराष्ट्र में उद्योग क्रांति और गुजरात में व्यापार क्रांति के धन, सुविधा और पूँजी का उत्पादन तो बहुत हुआ है, वही राज्यों में खेती-किसानों का सबसे अधिक नुकसान भी हुआ है। आँकड़ों से यह तथ्य उजागर है कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा आत्महत्याएँ महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के किसानों ने की है। बिहार तथा उड़ीसा क्षेत्रों में बाल मृत्यु दर बढ़ी है। जाहिर है कि यह मृत्यु दर महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के शहरी समाज के बच्चों की नहीं, बल्कि उन्हीं प्रदेशों के ग्रामीण बच्चों की मृत्यु दर है। इन क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण विषमता, गरीबी और असुविधाओं की कमी है।
वैश्वीकरण का विरोध विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक दलों की तरफ से होता रहा है। हम वैश्वीकरण के विरोधी नहीं, बल्कि वैश्वीकरण के किसी खास कार्यक्रम के विरोधी हैं, जिसे साम्राज्यवाद कहते हैं।

10. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है?
उत्तर- वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है। पूरे संसार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। इसलिए यह केवल गरीब देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरनाक है। विश्व के विभिन्न भाग सांस्कृतिक दृष्टि से एक-दूसरे से जुड़ रहेरहे हैं। वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लग रहा है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि यहाँ विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है। विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। बर्गर या नीली जीन्स की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमरीकी जीवनशैली का प्रभाव है। अमरीका राजनीतिक और आर्थिक प्रभुत्व के साथ ही समाजों पर भी अपनी छाप छोड़ रहा है। संसार वैसा ही दिखता है, जैसे ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है, जैसे मैक्डोनाल्डीकरण। विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने-आप को अमरीकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इन्हीं बाहरी प्रभावों से हमारी पसंद या नापसंद का दायरा बढ़ता है।
बर्गर मसाला डोसा का विकल्प नहीं है। हमारे भोजन में एक चीज और शामिल हो गई है। नीली जीन्स भी हथकरघा पर बुने खादी के कुर्ते के साथ जचती है। इस अनूठे पहनावे को अब उसी देश को निर्यात किया जा रहा है, जिसने हमें नीली जीन्स दी है। जीन्स के ऊपर कुर्ता पहने अमरीकियों को देखना अब संभव है। सांस्कृतिक समानता एक पक्ष है तो वैश्वीकरण का एक उल्टा प्रभाव भी उतपन हुआ है। वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं अधिक अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इसको सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं। सांस्कृतियों के मेलजोल में उनकी ताकत का सवाल छुपा है। हमें यह भी देखना चाहिए कि सांस्कृतिक प्रभाव एकतरफा नहीं होता।

11. वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया है और भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है?
उत्तर- वैश्वीकरण ने भारत जैसे  विस्तृत देश को काफी प्रभावित किया है। अनेक बड़े देश भारत को एक मंडी या बाजार के रूप में देखते हैं। ब्रिटेन के औपनिवेशिक दौर के साम्राज्यवादी मंसूबों के परिणामस्वरूप भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल निर्यातक तथा तैयार माल का आयातक देश था। स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने आयात पर रोक लगाई ताकि भारत में ही सभी चीजों का उत्पादन हो सके। इसे संरक्षणवाद कहते हैं। संरक्षणवाद के पश्चात कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई, तो कुछ क्षेत्रों, जैसे-स्वास्थ्य, आवास और प्राथमिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। भारत में आर्थिक वृद्धि की दर भी धीमी रही।
1991 में भारत ने वित्तीय संकट से उबरने और आर्थिक वृद्धि की ऊँची दर हासिल करने की इच्छा से वैश्वीकरण को अपनाया। इसके अन्तर्गत भारत में आर्थिक सुधारों की योजना शुरू की गई। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के  द्वारा से विदेशी व्यापार और निवेश की प्रक्रिया विभिन्न क्षेत्रों में आरम्भ की गई। बर्गर और नीली जीन्स जैसे अमरीकी जीवन शैली ने भारत को काफी प्रभावित किया है। संसार वैसा ही दिखता है जैसा ताकतवर देश देखना चाहते हैं। जो यह तर्क देते हैं, वे अक्सर दुनिया के मैक्डोनॉल्डीकरण की तरफ इशारा करते हैं।
दूसरी ओर भारत ने भी वैश्वीकरण को कुछ हद तक प्रभावित किया है। विदेशों में भी नीली जीन्स के साथ खादी का कुर्ता पहना जा रहा है। खासकर अमरीका में यह देखा जा सकता है। विदेशों में भी भारतीय त्योहारों का मनाया जाता है। सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के कुल निर्यात का 65 प्रतिशत अमरीका को जाता है। बोईंग के 35 प्रतिशत तकनीकी कर्मचारी भारतीय मूल के हैं। भारत के तीन लाख लोग 'सिलिकन बैली' में काम करते हैं। उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की 15 प्रतिशत कंपनियों की शुरुआत अमरीका में बसे भारतीयों ने की है।
भारत में वैश्वीकरण का विरोध विभिन्न सामाजिक, औद्योगिक, श्रमिक और किसान संगठनों द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रति विरोध जताकर किया गया है। इस विरोध में पश्चिमी संस्कृति का भी विरोध किया गया। इस विरोध में विदेशी टी०वी० चैनलों से लेकर वैलेन्टाईन-डे मनाने तथा स्कूल-कॉलजों के छात्र-छात्राओं की पश्चिमी पोशाकों के प्रति बढ़ती अभिरूचि का भी विरोध किया गया है।

महत्वपूर्ण प्रश्नपाठ-9वैश्वीकरण


एक अंकीय प्रश्न:-
1. वैश्वीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
त्तरस्मरणीय बिन्दु
2. वैश्वीकरण के कौन-कौन से प्रभाव होते हैं?
उत्तरआर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा संस्कृतिक
3. आर्थिक वैश्वीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तरविभिन्न देशों में आर्थिक प्रवाह तेज होना
4. वैश्वीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव लिखिये।
उत्तरतकनीकी ज्ञान और पूंजी का विकास हुआ
5. वैश्वीकरण का एक नकारात्मक प्रभाव लिखिये
उत्तरगरीब देशों का आर्थिक शोषण
6. मैक्डोनाल्डीकरण से आप क्या समझते हो?
उत्तरविभिन्न संस्कृतियों पर अमेरिकी संस्कृति का प्रभाव
7. भारत ने सन् 1991 में आर्थिक सुधारों की योजना क्यों आरम्भ की?
उत्तरवित्तीय संकट दूर करना तथा ऊंची आर्थिक विकास दर प्राप्त करना
8. वैश्वीकरण के विरोध के विश्वव्यापी मंच का नाम लिखिये।
उत्तरवर्ल्ड सोशल फोरम (W.S.F.)
9. भारत में किन संगठनों ने बहुराष्ट्रीय नियमों के प्रवेश का विरोध किया?
उत्तरकिसानों तथा औद्योगिक मजदूरों ने
10. निम्न लिखित वाक्य को सही करके पुनः लिखिये।
‘‘वैश्वीकरण के कारण राज्य की अहस्तक्षेपवादी प्रवृति के बजाय कल्याणकारी प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है।’’
उत्तरकल्याणकारी प्रवृति के बजाय अहस्तक्षेपवादी प्रवृति को बढ़ावा मिला है।
11. वर्तमान समय में विश्व में कौन सी विचार धारा पाई जाती है?
उत्तरउदारीकरण, वैश्वीकरण
12. संचार के क्षेत्र में तीन क्रांतिकारी साधनों के नाम लिखिए?
उत्तरटेलीग्राफ, टेलीफोन व माइक्रोचिप
13. व्यापार संतुलन क्या है?
उत्तरकिसी देश के कुल आयात और निर्यात मूल्यों का अन्तर यदि बराबर हो तो व्यापार संतुलन होगा।

दो अंकीय प्रश्न:-
1. संचार क्रांति का आगमन किन आविष्कारों के कारण हुआ?
उत्तरटेलीफोन, टेलीग्राफ तथा माईक्रोचिप
2. विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के कारण क्या आसान हो गया है?
उत्तरविचार, व्यक्ति, वस्तु, पूंजी की आवाजाही आसान हुई
3. विश्व व्यापी आपसी जुड़ाव से आपका क्या आशय है?
उत्तरविश्व के लोगों में आपस में जुड़े होने की भावना
4. वैश्वीकरण के कारण राज्यों ने अपने को किन कार्यों तक सीमित कर दिया?
उत्तरकानून व्यवस्था बनाये रखना तथा नागरिक सुरक्षा तक
5. विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास से राज्य की क्षमता में कैसे वृद्धि हुई है?
उत्तरनागरिकों के बारे में सूचना एकत्र करके प्रभावी कार्य करना
6. सामाजिक सुरक्षा कवच से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तरआर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वैश्वीकरण के बुरे प्रभावों से बचाने के संस्थानिक उपाय
7. वैश्वीकरण से विश्व में वस्तुओं के व्यापार पर क्या प्रभाव हुआ है?
उत्तर(A)विभिन्न देशों में अपने आयात प्रतिबन्धें में कमी
(B)पूंजी के आवागमन पर रोक कम हुई
8. सांस्कृतिक समरूपता तथा सांस्कृतिक विभिन्नता से आपका क्या आशय है?
उत्तरसांस्कृतिक समरूपता - विश्व संस्कृति के नाम पर दूसरे देशों पर अमेरिका की संस्कृति लादना। सांस्कृतिक विभिन्नीकरण- विश्व में सभी संस्कृतियां पहले की अपेक्षा वर्तमान में कहीं ज्यादा विशिष्ट होती जा रही हैं।
9. वर्ल्ड सोशल फोरम के तहत कौन-कौन से समूह वैश्वीकरण का विरोध कर रहे हैं?
उत्तरमानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, महिला कार्यकर्ता, मजदूर तथा युवा कार्यकर्ता एकजुट होकर।
10. बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हो?
उत्तरवह कम्पनी जो एक से अधिक देशों में आर्थिक गतिविधियां चलाती हैं।   
11. क्या साम्राज्यवाद ही वैश्वीकरण है स्पष्ट कीजिए।
उत्तरनहीं, सामाज्यवाद में एक देश अपनी सीमा के बाहर के क्षेत्र के लोगों पर आर्थिक तथा राजनीतिक कब्जा करता है जबकि वैश्वीकरण में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता है।
12. कल और आज के वैश्वीकरण में क्या अन्तर है?
उत्तरपहले समय में वस्तु तथा तैयार माल का आवागमन था। परन्तु अब व्यक्ति वस्तु विचार पूंजी तकनीक तथा कच्चे माल का भी आवागमन है।
13. दो महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं के नाम बताइए?
उत्तर- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
- विश्व व्यापार संगठन
14. भारत वैश्वीकरण को किन तरीको से प्रभावित कर रहा है। कोई दो कारण दीजिए?
उत्तर- भारतीय लोग विदेशो में जाकर अपनी संस्कृति व रीति-रिवाज को बढ़ावा दे रहे है।
- भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व को आकर्षित किया है।

चार अंकीय प्रश्न:-
1. वैश्वीकरण में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?
उत्तर(A)टेलीफोन टेलीग्राफ तथा माईक्रोचिप से संचार क्रांति
(B)हमारे विचारों पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव पड़ा
(C)परिवहन साधनों से आवाजाही सुगम हुई
(D)राज्यों की सीमाओं को समाप्त सा कर दिया।
(E)समय, स्थान तथा दूरी प्रायः समाप्त
2. वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें
3. वैश्वीकरण के विश्व व्यापी विरोध की विवेचना कीजिए।
उत्तर: स्मरणीय बिन्दु देखें
4. वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों का उल्लेख करो।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें
5. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक पक्ष की व्याख्या कीजिए।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें
6. आप कल्पना कीजिए कि क्या भविष्य में वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा?
उत्तरहां, क्योंकि
(A)प्रत्येक व्यक्ति तथा देश एक दूसरे पर निर्भर होगा
(B)कोई भी व्यक्ति अपनी आवश्यकता स्वयं पूरी नहीं कर सकता
(C)क्षेत्राीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का निर्माण आपसी निर्भरता के कारण
(D)भविष्य में विश्व सहयोग बढ़ेगा तथा विकसित देश दूसरे देशों का शोषण के बजाय सहयोग करेंगे|
7. प्रस्तुत कार्टून देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो।
(A)इस कार्टून में वैश्वीकरण के किस प्रभाव को दिखाया गया है?
(B)यह कार्टून किस बात की तरफ इशारा कर रहा है?
उत्तर(A)सांस्कृतिक प्रभाव को दिखाया गया। सांस्कृतिक प्रभाव के कारण विश्व संस्कृति के जन्म की बजाय पश्चिमी संस्कृति को लादा जा रहा है। न चाहते हुए भी सांस्कृतिक वर्चस्व को स्वीकारना पड़ता है और अमेरिका नये बाजारों पर कब्जे करता जा रहा है।
(B)मैक्डोनाल्डीकरण की तरफ इशारा कर रहा है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों का अमेरिकी संस्कृति के रंग में रंग जाती है।
8. नीचे दिए गए कार्टून देख कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दे?
(A)कल और आज से क्या अभिप्राय है?
(B)वैश्वीकरण के चार खतरे बताइये?
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें।

छः अंकीय प्रश्न:-
1. वैश्वीकरण को प्रेरित करने वाली कौन सी परिस्थितियां (कारण) रही है?
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें।
2. भारत को वैश्वीकरण ने कैसे प्रभावित किया तथा भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है?
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें।
3. भारत में वैश्वीकरण की प्रक्रिया के लिए क्या-क्या प्रयास किये हैं?
उत्तर(A)व्यापार नीति में सुधार
(B)औद्योगिक नीति में सुधार
(C)पूंजी बाजार में सुधार
(D)सरकारी उपक्रम, बीमा में प्रतियोगिता
(E)विश्व व्यापार संगठन का प्रभाव - अनेक वस्तु से सीमा शुल्क हटाया
(F)सरकार द्वारा प्रदत्त रियायतो का अन्त
(G)निजी बैंक खोलने की अनुमति
(H)बहु राष्ट्रीय कम्पनियों को व्यापारिक गतिविधियों की छूट
4. वैश्वीकरण के भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव हुए हैं? विवेचना कीजिए।
उत्तर(A)सकारात्मक प्रभाव-
1. उत्पादकता सुधार से जीवन स्तर सुधारा।
2. प्रतियोगिता से कार्य कुशलता में वृद्धि
3. कम कीमत पर अच्छी सेवा तथा वस्तु उपलब्ध
4. निर्यात वृद्धि से विश्व व्यापार में भारत का योगदान बढ़ा
5. रोजगार के नये अवसरों का निर्माण
6. स्वदेशी प्रौद्योगिकी में सुधार हुआ
(B) नकारात्मक प्रभाव-
1. टेक्नोलॉजी से बेरोजगारी बढ़ी
2. प्रतियोगिता के कारण छोटे उद्यमी बाहर
3. गरीब लोगों की संख्या में वृद्धि
4. कम कुशल श्रमिकों पर बुरा प्रभाव

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