CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान पुनरावृति नोटस पाठ-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा
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CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान पुनरावृति नोटस पाठ-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा

CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
पुनरावृति नोटस
पाठ-7 समकालीन विश्व में सुरक्षा

स्मरणीय बिन्दु-
  1. समकालीन विश्व माना जाता है
    सुरक्षा-
    - शांति को खतरे से मुक्ति या खतरे से रक्षा।
    - किसी समाज व राष्ट्र के आधारभूत केन्द्रीय मूल्यों की ऐसे किसी भी खतरे से रक्षा करना जो उन्हें नष्ट या विकृत करने वाला हो।
    केन्द्रीय मूल्य = सम्प्रभुता + स्वतंत्रता + क्षेत्रीय अखण्डता।
    सुरक्षा के प्रकार-
    परम्परागत सुरक्षा:- किसी राष्ट्र की स्वतंत्रता को हानि पहुंचाने वाले खतरे से मुक्ति।
    (A) बाह्य सुरक्षा:- दूसरे देश द्वारा किये जाने वाला आक्रमण तथा युद्ध।
    बुनियादी स्तर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं।
    1. आत्मसमर्पण करना
    2. अपरोध:- सुरक्षा नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकना है।
    3. रक्षा:- युद्ध को सीमित रखने अथवा उसको समाप्त करने से होता है |
    परम्परागत सुरक्षा के उपाय:-
    उपाय नामकार्य
    1. शक्ति सन्तुलनपड़ोसी देश के बराबर या अधिक सैन्य क्षमता का विकास
    2. सैन्य गठबंधनअनेक देशों द्वारा सैन्य समझौते करके गठबंधन बनाना।
    3. निशस्त्रकरणदेशों द्वारा अस्त्र-शस्त्रों के भण्डार में कटौती |
    4. न्याययुद्धयुद्ध का प्रयोग आत्म रक्षा या दूसरों को जनसंहार से बचाना।
    5. विश्वास बहालीदेशों में एक दूसरे के प्रति विश्वास की भावना का विकास।
    (B) आन्तरिक सुरक्षा:- जब देश की शासन व्यवस्था कमजोर हो तो वहां गृहयुद्ध, आन्तरिक कलह उत्पन्न होते हैं और पड़ोसी शत्रु इसका लाभ उठाकर आक्रमण कर देते हैं।
    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आन्तरिक सुरक्षा का महत्व कम होना व बाहरी खतरे की आशंका होना:-
    1. पश्चिमी देशों द्वारा अपनी सीमा के अन्दर एकीकृत और शांति सम्पन्न होना।
    2. पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गो से कोई गंभीर खतरा नही था।
    बाहरी खतरे की आशंका:-
    1. अमेरिका व सोवियत संघ को अपने ऊपर एक दूसरे से सैन्य हमले का डर था।
    2. यूरोपीय देशों को अपने उपनिवेशों में वहां की जनता से युद्ध की चिंता सता रही थी ये लोग आजादी चाहते थे। जैसे फ्रांस को वियतनाम व ब्रिटेन को केन्या से जूझना पड़ा।
    एशिया और अफ़्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सम्मुख सुरक्षा की चुनौतियां
    1. अपने पड़ौसी देश से सैन्य हमले की आंशका। सीमा रेखा, भूक्षेत्र तथा आबादी पर नियन्त्रण को लेकर।
    2. अंदरूणी सैन्य संघर्ष:- अलगाववादी आन्दोलनों से खतरा जो अलग राष्ट्र बनाना चाहते थे।
    निशस्त्रीकरण संधियां:-
    1.  जैविक हथियार सन्धि (BWC) - 1972 में 155 देशों ने जैविक हथियार उत्पादन पर रोक
    2.  रसायनिक हथियार सन्धि (CWC) - 1992 में 181 देशों ने रसायनिक हथियार रोक
    3.  एंटीबैलेस्टिक मिसाइल सन्धि (ABM) - प्रक्षेपास्त्रों के भण्डार में कमी करना
    4.  सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण सन्धि (START) - घातक हथियारों की संख्या में कमी
    5.  सामरिक अस्त्र परिसीमन सन्धि (SALT) - 1992, घातक हथियार परिसीमन
    6.  परमाणु अप्रसार सन्धि (NPT) - 1968 में सन्धि, 1967 के बाद परमाणु हथियारों का निर्माण नहीं।
    गैर परम्परागत सुरक्षा-
    1. मानव सुरक्षा:- सुरक्षित राज्य का अर्थ जनता का सुरक्षित होना नहीं है। युद्ध मानवाधिकार उल्लंघन, जनसंहार व आतंकवाद से अधिक लोग अकाल महामारी व आपदा से मरते हैं अर्थात अभाव तथा भय से मुक्ति।2.  वैश्विक सुरक्षा:- जिन खतरों का सामना कोई देश अकेले नहीं कर सकता। यह वैश्विक प्रकृति की समस्या है इनके समाधन के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है।

    खतरे या भय के नवीन स्रोत:-
    (A) मानवता की सुरक्षा के खतरे:-
    1. आतंकवाद
    2. विश्वव्यापी निर्धनता
    3. असमानता
    4. शरणार्थियों की जीवन बाधायें
    (B) विश्व सुरक्षा के खतरे:-
    1. महामारियां
    2. पर्यावरण प्रदूषण
    3. प्राकृतिक आपदायें
    4. वैश्विक ताप वृद्धि
    5. जनसंख्या वृद्धि
    6. एड्स और बर्ड फलू
    मानवाधिकार विषयक चर्चा:-
    1. राजनीतिक अधिकार जैसे अभिव्यक्ति व सभा करने की आजादी
    2. आर्थिक और सामाजिक अधिकार
    3. उपनिवेशकृत जनता तथा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यक के अधिकार
    इन वर्गीकरण को लेकर व्यापक सहमति है लेकिन किसे सार्वभौम मानवाधिकार की संज्ञा दी जाए इस पर सहमति नहीं है।
    मानवाधिकार की सुरक्षा:-
    संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणापत्र में अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी को अधिकार देता है कि वह मानवाधिकार की रक्षा के लिए हथियार उठाये।
    संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार उल्लंघन के किस मामले में कारवाई करेगा और किसमें नहीं ।
    भारत की सुरक्षा रणनीतियां:-
    1. अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाना
    2. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों की मजबूती में सहयोग करना।
    3. आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाना
    4. सामाजिक असमानता दूर करना
    5. आर्थिक असमानता कम करना
    6. सहयोग मूलक सुरक्षा नीति
    7. सैन्य गुटबन्दी से अलग
    सुरक्षा के लिए सहयोग:-
    1. शक्ति संतुलन व गठबन्धन की स्थापना - सहयोग से
    2. नवीन खतरे, आपदा से सुरक्षा, सेना नहीं - सहयोग से
    3. आतंकवाद से सुरक्षा, सेना नहीं - सहयोग से
    4. गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण समाप्ति में अमीर देशों का - सहयोग
    5. महामारियों को व बीमारियों को फैलने से रोकना - सहयोग द्वारा
    6. सरकार यदि मानवाधिकारों का हनन करे तो मुक्ति के लिए जरूरी है अन्तर्राष्ट्रीय समाज का – सहयोग |
    -द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का काल अर्थात् 1945 के बाद का समय |
  2. सुरक्षा का अर्थ है-खतरे से आजादी।
  3. वर्तमान समय में मानव की सुरक्षा खतरे में है, चाहे वह युद्ध के कारण हो, चाहे आतंकवाद के कारण।
  4. सुरक्षा की पारंपरिक अवधारण में दो प्रकार की सुरक्षा है-बाहरी सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा।
  5. सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा के अनुसार सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है।
  6. शक्ति संतुलन-शक्ति संतुलन में दो देशों या समूहों के पास बराबर शक्ति होती है, जिससे वे एक दूसरे पर आक्रमण करने से कतराते हैं, क्योंकि युद्ध का अर्थ ही है- विनाश, तबाही।
  7. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शक्ति संतुलन बनाए रखने का कार्य अमरीका तथा सोवियत संघ ने किया।
  8. अमरीका पर आतंकवादी हमला-11 सितंबर, 2001 को औसामा बिन लादेन के नेतृत्व में अल-कायदा समूह ने संयुक्त राज्य अमरीका पर आतंकवादी हमला किया।
  9. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दो विरोधी गुट विश्व में विद्यमान थे। वे हैं-पूँजीवादी गुट व साम्यवादी गुट।
  10. 1945 के बाद सभी उपनिवेशों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष आरंभ कर दिया।
  11. 1950 में फ्रांस को वियतनाम में और 1950-1960 में ब्रिटेन को केन्या में जूझना पड़ा।
  12. उपनिवेशों ने स्वतंत्र होना आरंभ कर दिया-1940 के दशक के उत्तरार्द्ध में।
  13. द्वितीय विश्व के बाद युद्धों के लिए जिम्मेदार रहा है-शीतयुद्ध।
  14. नव स्वतंत्र देशों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है-सुरक्षा।
  15. युद्ध की स्थिति में सरकार के समक्ष तीन विकल्प होते हैं-आत्मसमर्पण, बिना युद्ध के दूसरे पक्ष की बात मान लेना, युद्ध की स्थिति में अपनी रक्षा करना और हमलावर कों पराजित कर देना।
  16. परंपरागत सुरक्षा नीति के तत्त्व हैं-राष्ट्रीय सुरक्षा, शक्ति-संतुलन, गठबंधन, अपरोध।
  17. केन्द्रीय मूल्य हैं- संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता |
  18. पारंपरिक धारणा के अनुसार आंतरिक सुरक्षा-देश के भीतर रक्तपात, गृहयुद्ध, हिंसा की समाप्त करना तथा शांति तथा कानून के शासन को बनाए रखना।
  19. एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के समय चुनौतियाँ थी-पड़ोसी देशों के हमले की, आंतरिक संघर्ष की आतंकवादी घुसपैठ की।
  20. गृहयुद्धों की संख्या में वृद्धि हुई हैं-1946 से 1991 के बीच।
  21. न्याय युद्ध-किसी देश द्वारा युद्ध उचित कारणों अर्थात् आत्मरक्षा अथवा दूसरों को नरसंहार से बचाने के लिए किया जाए।
  22. सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को मानवता की सुरक्षा अथवा विश्व रक्षा कहा जाता है।
  23. खतरों की सूची में केवल विदेशी युद्ध या सैन्य खतरा ही शामिल नहीं हैं, बल्कि इसमें-युद्ध, जन-संहार और आतंकवाद के साथ-साथ अकाल, महामारी और प्राकृतिक आपदा भी शामिल हैं।
  24. विश्वव्यापी खतरों में शामिल हैं-वैश्विक तापवृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा एड्स और बर्ड फ्लू आदि।
  25. ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापवृद्धि) से प्रभावित राष्ट्रों में शामिल हैं-बांग्लादेश, कमोवेश थाइलैंड।
  26. विभिन्न देशों में अप्रवास, व्यवसाय, पर्यटन और सैन्य अभियानों से बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं, जिसमें शामिल हैं-HIV-एड्स, बर्ड फ्लू और सार्स।
  27. मानवाधिकार को तीन कोटियों में रखा गया है-अभिव्यक्ति और सभा करने की आजादी, आर्थिक और सामाजिक अधिकार, उपनिवेशीकृत जनता और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार।
  28. विश्व की 50 प्रतिशत आबादी है-चीन, भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में।
  29. कुछ नई बीमारियाँ विश्व के सामने उभर कर आई हैं- एबोला वायरस, हैंटावायरस और हेपेटाईटिस-सी आदि।
  30. सहयोग मूलक सुरक्षा की अवधारण अपारम्परिक खतरों से निपटने के लिए सैन्य संघर्ष के बजाए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से रणनीतियाँ तैयार करने पर बल देती हैं। यद्यपि अंतिम उपाय के रीप में बल प्रयोग किया जा सकता है।
  31. सहयोग मूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन (संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक आदि), स्वयंसेवी संगठन (रेडक्रास, एमनेस्टी इंटरनेशल आदि), व्यावसायिक संगठन व प्रसिद्ध हस्तियाँ (जैसे नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा आदि) शामिल हो सकती है।

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ-7
समकालीन विश्व में सुरक्षा


1. निम्नलिखित पदों को उनके अर्थ से मिलाएँ-
  1. विश्वास बहाली के उपाय (कॉन्फिडेंस बिल्डिग मेजर्स-CBMs) 2. अस्त्र-नियंत्रणा
  2. गठबंधन
  3. निरस्त्रीकरण
    (क) कुछ खास हथियारों के इस्तेमाल से परहेज
    (ख) राष्ट्रों के बीच सुरक्षा-मामलों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की नियमित प्रक्रिया
    (ग) सैन्य हमले की स्थिति से निबटने अथवा उसके अपरोध के लिए कुछ राष्ट्रों का आपस में मेल करना।
    (घ) हथियारों के निर्माण अथवा उनको हासिल करने पर अंकुश।
उत्तर- (1) (ख)
(2) (घ)
(3) (ग)
(4) (क)

2. निम्नलिखित में से किसको आप 'सुरक्षा का परंपरागत सरोकार/सुरक्षा का अपारंपिक सरोकार/खतरे की स्थिति नहीं' का दर्जा देंगें-
(क) चिकेनगुनिया/डेंगू बूखार का प्रचार
(ख) पड़ोसी देश से कामगारों की आमद
(ग) पड़ोसी राज्य से कामगारों की आमद
(घ) अपने इलाके को राष्ट्र बनाने की माँग करने वाले समूह का उदय
(ड़) अपने इलाके को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की माँग करने वाले समूह का उदय।
(च) देश की सशस्त्र सेना की आलोचनात्मक नजर से देखने वाला अखबार।
उत्तर- (क) सुरक्षा का अपारंपरिक सरोकार।
(ख) सुरक्षा का परंपरागत सरोकार।
(ग) खतरे की स्थिति नहीं।
(घ) सुरक्षा का अपारंपरिक सरोकार
(ड़) खतरे की स्थिति नहीं।
(च) सुरक्षा का पारंपरिक सरोकार।

3. परंपरागत और अपारंपरिक सुरक्षा में क्या अंतर है? गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाए रखना इनमें से किस कोटि में आता है?
उत्तर- परंपरागत और अपारंपरिक सुरक्षा में निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं-
पारंपरिक सुरक्षा अपारंपरिक सुरक्षा
(i)पारंपरिक सुरक्षा की धारणा का संबंध बाहरी खतरों से होता हैं।(i)अपारंपरिक सुरक्षा में मानवीय अस्तित्व पर हमला करने वाले सभी खतरों को शामिल किया जाता है।
(ii)पारंपरिक धारणा का संबंध सैन्य खतरे से उत्पन्न चिंता से हैं।(ii)अपारंपरिक सुरक्षा का संबंध सैन्य खतरे के अलावा अन्य व्यापक खतरों से हैं।
(iiiबाहरी सुरक्षा का खतरा दूसरे देश से होता हैं।(iii)अपारंपरिक सुरक्षा के अंतर्गत हमले के अलावा मानव की सुरक्षा राज्य से भी होनी चाहिए। अपने देश की सरकार से भी बचाव जरूरी है।
(iv)पारंपरिक सुरक्षा में बाहरी आक्रमण से सुरक्षा के तीन उपाय हैं-
(i) आत्मसमर्पण
(ii) आक्रमणकारी की बात मानकर
(iii) युद्ध में हराकर
(iv)अपारंपरिक सुरक्षा की धारणा में राष्ट्र प्राकृतिक आपदाओं 'आतंकवाद तथा महामारियों को समाप्त करके" लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता हैं।

 4. तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने मौजूद खतरों में क्या अंतर है?
उत्तर- तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने खतरों में काफी अंतर विद्यमान है, जो निम्न हैं-
तीसरी दुनिया का अर्थ है विकासशील देशों से है, जिसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के देश शामिल हैं। विकसित देशों में अमरीका, यूरोपीय देश एवं उत्तरी ध्रुव के देश सम्मिलित हैं। विकसित देशों में अमरीकी, यूरोपीय देश एवं उत्तरी ध्रुव के देश शामिल हैं | उत्तरी गोलार्द्ध के देशों को विकसित तथा दक्षिणी गोलाद्ध के देशों को अविकसित या तीसरी दुनिया के देश कहा जाता हैं।
तीसरी दुनिया के सामने बाहरी तथा आंतरिक खतरे विद्यमान हैं, जबकि विकसित देशों के सामने ये खतरे न के बराबर हैं।
तीसरी दुनिया के सामने बेरोजगारी, भुखमरी, महामारी जैसे समस्याएँ हैं, जबकि विकसित देशों ने कुछ  सीमा तक इन पर नियंत्रण कायम कर लिया है।
विकासशील या तीसरी दुनिया के देशों के सामने सुरक्षा का प्रश्न मुख्य चुनौती के रूप में विद्यमान है जो विकसित देशों के सामने नहीं है।
तीसरी दुनिया की जनता के सामने अप्रवासी और शरणार्थियों की समस्या विद्यमान है। यह विकसित देशों में न के बराबर है।
तीसरी दुनिया के देशों के सामने आतंकवाद का एक प्रमुख खतरा विद्यमान हैं। यह विकसित देशों को भी चनौती दे रहा हैं।
नरसंहार, रक्तपात, गृहयुद्ध तीसरी दुनिया के देशों की मुख्य समस्याएँ है, जो विकसित देशों में कम हैं।

5. आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है या अपरंपरागत?
उत्तर- आतंकवाद सुरक्षा अवधारणा की अपरंपरागत श्रेणी में आता है। आतंकवाद किसी एक देश के लिए खतरा नहीं है, बल्कि विश्व के सभी देशों के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितंबर, 2001 के अमरीका पर आतंकवादी हमले से यह साबित होता है कि यह विकसित देशों की सुरक्षा में भी सेंध लगा सकता है। आतंकवाद में जान-बूझ कर नागरिकों, रेलगाड़ियों, बाजार , विमानों, महत्वपूर्ण इमारतों,आदि में बम रखकर वहां तबाही करने की कोशिश की जाती है। आतंकवादी संगठन बल-प्रयोग की शक्ति के  द्वारा अनेक देशों पर आक्रमण करना चाहते हैं। अफ्रीका, दक्षिण एशिया, व लैटिन अमरीका जैसे देशों की प्रमुख समस्या यह है कि आतंकवादी पर किस प्रकार नियंत्रण पाया जाए | कुछ देश इन आतंकवादी संगठनों को अपने यहाँ प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।



6. सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के हिसाब से बताएँ कि अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मँडरा रहा हो तो उसके सामने क्या विकल्प होते हैं?
उत्तर- सुरक्षा की परंपरागत धारणा के अंतर्गत कोई दूसरा देश ही किसी देश पर हमला करता है। इसके लिए वह पहले चेतावनी दे सकता है, धमकी दे सकता है। सुरक्षा की पारंपरिक धारणा के अनुसार  ज़्यादातर हमारा सामना राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा से होता है। इस अवधारणा के अनुसार सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है | दुसरे देश, सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा उत्तपन करता है।
सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के अंतर्गत, यदि किसी राष्ट्र पर खतरा मँडरा रहा ही तो उसके सामने युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं-
(i) शत्रु देश के समाने आत्मसमर्पण कर देना।
(ii) शत्रु देश की बात को बिना युद्ध किए मान लेना।
(iii) शत्रु देश को युद्ध के लिए उकसाना और हमलावर को पराजित करना।

7. शक्ति संतुलन क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता है?
उत्तर- शक्ति संतुलन का अर्थ है, कोई भी एक पक्ष या राज्य इतना  बलशाली न हो कि वह अन्य राज्यों पर हावी हो जाए या दूसरे पर हमला करने, उसे दबाने या हराने में समर्थ हो। जिस तरह एक तुला के दो पलड़े समान भार होने पर संतुलित बने रहते हैं, वही स्थिति अलग-अलग राज्यों के मध्य होती है। यदि कोई देश अन्य देशों की तुलना में ज़्यादा शक्तिशाली होता है तो वह अन्य देशों के लिए संकट और चिंता का विषय बन सकता है।
शक्ति संतुलन के अंतर्गत अनेक राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधो को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं |
क्लॉड के अनुसार, "शक्ति संतुलन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न स्वतंत्र राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधों को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं। इस प्रकार यह एक विकेंद्रित व्यवस्था हैं, जिसमें शक्ति व नीति निर्णायक इकाइयों के हाथों में ही रहती हैं।"
शक्ति संतुलन कायम रखने के उपाय-
(i) शक्ति संतुलन को कायम रखने के लिए सैन्य-शक्ति में लगातार वृद्धि होते रहनी चाहिए।
(ii) शक्ति संतुलन के लिए आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत होने चाहिए, तभी शक्ति संतुलन कायम रह पाएगा।
(iii) शत्रु देश की शक्ति को कम करने के लिए अनेक उपाय करने चाहिए, जैसे शत्रु देश के मित्र देशों की संख्या कम करना। (iv) शस्त्रीकरण भी शक्ति संतुलन का एक जरिया है। शक्ति संतुलन द्वितीय विश्व युद्ध केपश्चात विश्व में बना हुआ था, जैसे अमरीका व सोवियत संघ दोनों शक्तिशाली विरोधी देश थे। यदि शक्ति संतुलन न होता तो तृतीय विश्व युद्ध हो सकता था। यह संतुलन 1945 से 1990 तक बना रहा।

8. सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का नाम बताइए जो अभी मौजूद है? इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएँ।
उत्तर- सैन्य गठबंधन में कई देश सम्मिलित होते हैं। सैन्य गठबंधन हमले को रोकने, हमला करने और रक्षा के उद्देश्य को लेकर बनाए जाते हैं। सैन्य गठबंधन बनाकर एक विशेष क्षेत्र में सैन्य शक्ति संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में नाटो नाम का एक सैन्य गठबंधन मौजूद हैं। सैन्य गठबंधनों का निर्माण अनेक देशों के माध्यम से अपने किसी विशेष क्षेत्र के लिए किया गया था, जैसे-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका के नेतृत्व में नाटो, सोवियत संघ के नेतृत्व में वारसा पैक्ट तथा यूरोपीय देशों व अमरीका ने मिलकर सिएटो की स्थापना की।
नाटो एक गैर साम्यवादी सैन्य गठबंधन है। नाटो में सबसे शक्तिशाली तथा केंद्रीय शक्ति अमरीका रहा है। नाटों की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को की गई थी। अमरीका ने सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नाटों की स्थापना की। इसमें मुख्यत: अमरीका व यूरोपीय देश शामिल थे।
नाटो के उद्देश्य निम्न थे-
(i) यूरोप पर आक्रमण के समय अवरोधक की भूमिका अदा करना।
(ii) सैन्य और आर्थिक विकास के लिए यूरोपीय राष्ट्रों के लिए कोई एक सुरक्षा छतरी बनना।
(iii) भूतपूर्व सोवियत संघ के साथ संभावित युद्ध के लिए लोगों को, विशेषकर अमरीका के लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना।
(iv) नाटो का प्रमुख औचित्य यूरोप की प्रतिरक्षा को सुदृढ़ करना है।

9. पर्यावरण के तेजी से हो रहे नुकसान से देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण देते हुए अपने तुर्कों की पुष्टि करें।
उत्तर- पर्यावरण का हास्य आज एक विश्वव्यापी समस्या बन गई हैं। जनसंख्या विस्फोट, शोरगुल, रासायनिक प्रवाह, नगरीकरण, जल प्रदूषण, धुआँ, विज्ञान और तकनीक का अप्रत्याशित प्रसार आदि इसके कारण हैं, जिनकी वजह से पर्यावरण का ह्रास हो रहा है। वर्तमान काल में पर्यावरणीय क्षय विश्व और संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने एक मुख्य चिंतनीय मुद्दा बन गया है। वैश्विक ताप, ओजोन क्षय, जल प्रदूषण जैसी समस्याओं ने भयंकर रूप ले लिया है। यदि समय रहते पर्यावरण को बचाया नहीं गया तो इसका परिणाम पृथ्वी के लिए भयंकर होगा।
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि पर्यावरण का तेजी से नुकसान हो रहा है। जिसके कारण सभी देशों को विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ रहा है। ओजोन परत में छेद होने से त्वचा से संबंधित कई बीमारियाँ  पैदा हो गई हैं, वैश्विक ताप में वृद्धि होने से समुद्र का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, गर्मी बढ़ती जा रही है। अकाल, बाढ़ और तूफान का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है। ग्रीन हाउस गैसों जैसे मिथेन गैस का खूब उत्सर्जन हुआ है। बढ़ते तापमान से प्रवासी पक्षियों के स्थान व आदतों में परिवर्तन देखा जा सकता है, वनों की कटाई निरंतर जारी है।
इन सभी समस्याओं को देखते हुए सभी देशों द्वारा वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय कानून तैयार किए गए हैं। मानवीय पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन (1972), रिओ पृथ्वी सम्मेलन (1992). संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर सम्मेलन (1997), ग्लोबल वार्मिग पर अंतरांष्ट्रीय सम्मेलन क्योटो संधि (1997), संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता सम्मेलन (2005), जलवायु परिवर्तन पर कोपनहेगन सम्मेलन (2009) आदि सम्मेलन पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय हैं।

10. देशों के सामने फिलहाल जो खतरे मौजूद हैं, उनमें परमाण्विक हथियार की सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है। इस कथन का विस्तार करें।
उत्तर- आज अनेक देशों के सामने अनेक प्रकार के खतरे मौजूद हैं। इन खतरों को युद्ध, परमाणु हथियार या अपरोध द्वारा नहीं टाला जा सकता है। आज अनेक देशों के पास परमाणु हथियार विद्यमान हैं और परमाणु हथियार बनाने की क्षमता भी है। ऐसी स्थिति में यदि परमाणु युद्ध होता है तो यदि एक देश  खत्म हो जाएगा तो दूसरा भी इसके प्रभाव से नहीं बच सकता। आज के खतरों से बचाने के लिए, सैन्य बल उपयुक्त नहीं है। उदाहरण, पर्यावरण संरक्षण ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़,भुखमरी, बेरोजगारी,  अकाल, आतंकवाद, सीमा-विवाद, गृहयुद्ध आदि ऐसे खतरे है, जिनका निवारण सैन्य शक्ति के द्वारा संभव नहीं है | इन खतरों के सामने परमाणु हथियारों के उपयोग का कोई औचित्य नहीं है |
सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण का अर्थ सैन्य सुरक्षा से लिया जाता था, जिसमें मुख्य अहम मुद्दा देश की बाहरी आक्रमण से रक्षा करना था। परंतु परमाणु हथियारों के इस युग में शस्त्रीकरण ने भी कहीं-न-कहीं युद्धों पर रोक लगाई है। किसी भी देश की हथियारों का इस्तेमाल कम-से-कम करना चाहिए। बल का प्रयोग केवल आत्मरक्षा के लिए ही करना चाहिए।
वर्तमान समय में हमारे सामने अनेक अपारंपरिक सुरक्षा के खतरे विद्यमान है। हमें अपना ध्यान ग्लोबल वार्मिग, बाढ़, सूखा, पर्यावरण संरक्षण, ओजोन छेद, रोजगार, गरीबी मिटाने में लगाना चाहिए। हमें अपना धन परमाणु हथियारों की अपेक्षा इन अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों पर लगाना चाहिए। वर्तमान  में काल में जो खतरे पैदा हुए हैं, उनमें परमाण्विक हथियार की सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है।

11. भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए-पारंपरिक या अपारंपरिक? अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन-से उदाहरण देंगें?
उत्तर- भारतीय परिदृश्य को देखते हुए भारत को पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह की सुरक्षा को वरीयता देनी चाहिए। भारत न तो सैनिक दृष्टि से सुरक्षित हैं और न ही अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों में। भारत के दो पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं जो भारत पर कभी भी हमला कर सकते हैं। हमले के अलावा भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर लगातार विवाद बना रहता है, जिससे आत्मरक्षा के लिए भारत के पास सैनिक शक्ति व परमाणु हथियारों का होना महत्वपूर्ण हैं। इसलिए भारत द्वारा पारंपरिक सुरक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए।
भारत अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों से परे नहीं है। पर्यावरण संरक्षण, गरीबी, आतंकवाद, ओजोन में छेद ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, सूखा, सभी देशों की समस्याएँ हैं, भारत भी उनमें से एक है। इन खतरों से जूझना भारत के लिए उतना ही जरूरी है, जितना सैनिक खतरों से। इसी कारण भारत को पारंपरिक सुरक्षा के साथ ही अपारंपरिक सुरक्षा को भी वरीयता देनी पड़ेगी।

12. नीचे दिए गए कार्टून को समझें । कार्टून में युद्ध और आतंकवाद का जो संबंध दिखाया गया है, उसके पक्ष या विपक्ष में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- ऊपर दिए गए कार्टून को देखने के बाद हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान समय में युद्ध और आतंकवाद में गहरा संबंध है। विश्व में कुछ युद्ध आतंकवाद को कुचलने या समाप्त करने के नाम पर हुए हैं। आतंकवाद आज किसी एक देश की नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व की समस्या बन गया है। आतंकवाद के कारण प्रतिवर्ष बहुत से नागरिकों की जानें चली जाती हैं। दोनों से ही विनाश मानव का ही हो रहा है। असुरक्षित मानव ही महसूस कर रहा है, चाहे वह विश्व के किसी भी कोने में विद्यमान क्यों न हो?
पक्ष में तर्क- आज विश्व में अनेक युद्ध ऐसे हुए हैं, जिन्होंने विकराल रूप धारण कर लिया और तीसरे विश्व युद्ध का कारण बन सकते थे। युद्ध का खतरा परंपरागत सुरक्षा का पहलू है। जब से मानव ने मिलकर रहना शुरू किया है, तभी से युद्ध लड़े जा रहा है। कई युद्ध तो आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर हुए हैं, जिसका कोई विशेष प्रभाव आतंकवाद पर नहीं पड़ा।
विपक्ष में तर्क- आतंकवाद और युद्ध दोनों ही मानव की सुरक्षा को खतरा पैदा करते हैं। आज प्रत्येक देश का मानव भय के घेरे में रहता है कि कभी भी आतंकवादी हमला संसार के किसी भी कोने में हो सकता है। आतंकवाद के कारण बहुत-से आम नागरिकों जिसमें महिलाएँ बच्चे और वृद्ध लोग हैं, को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। आतंकवादी गिरोह छोटे बच्चों पर मानसिक दबाव डालकर या जेहाद की आड़ में ,उन्हें बहुत कट्टर बना देते हैं, उन्हें प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण दिया जाता है। युद्ध की एक छोटी गतिविधि है- आतंकवाद। कार्टून में यह दिखाया गया है कि किस प्रकार आतंकवाद एक विकराल युद्ध का रूप ले सकता है।

महत्वपूर्ण प्रश्नपाठ-7समकालीन विश्व सुरक्षा



एक अंकीय प्रश्न:-

1. सुरक्षा का बुनियादी अर्थ लिखिए।
उत्तरभय व खतरे से मुक्ति
2. सुरक्षा की अवधारणा कितने प्रकार की है?
उत्तरदो परम्परागत व अपरम्परागत
3. सुरक्षा की परम्परागत अवधारणा का अर्थ बताइये।
उत्तरयुद्ध व सैन्य खतरा
4. कुछ देश गठबन्धन किस कारण से बनाते है?
उत्तरसैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए
5. परम्परागत धरणा के अनुसार सुरक्षा के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तरदो - बाह्य सुरक्षा, आन्तरिक सुरक्षा
6. सैन्य हमले से कौन-कोन से खतरे हो सकते हैं?
उत्तरकिसी देश की सम्प्रभुता, स्वतंत्रता, अखण्डता तथा नागरिक जीवन को खतरा
7. शक्ति सन्तुलन का क्या उद्देश्य होता है?
उत्तरसन्तुलन स्थापित करके आक्रमण रोकना व शांति स्थापित करना।
8. सुरक्षा के लिए देशों के गठबन्धन किस प्रकार आधारित होते हैं?
उत्तरजिन देशों के राष्ट्रीय हित समान होते हैं वे गठबन्धन बनाते हैं।
9. आज विश्व का युद्ध के प्रति क्या दृष्टिकोण क्या है?
उत्तरयुद्ध आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए हैं।
10. निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:-
सुरक्षा की ............. धरणा सैन्य खतरों से सम्बंध नहीं है।
उत्तरअपरम्परागत   
11. निशस्त्रीकरण का अर्थ बताइये।
उत्तरशस्त्र न रखना।
12. अपरोध से क्या अभिप्राय है?
उत्तरसुरक्षा-नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकना है उसे अपरोध कहते है।
13. संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा पत्र में मानवाधिकार के विषय में क्या कहा गया है?
उत्तरसंयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी को अधिकार देता है कि वह मानवाधिकार की रक्षा के लिए हथियार उठाये।

दो अंकीय प्रश्न:-
1. सुरक्षा की अपरम्परागत धरणा का सम्बंध किससे है?
उत्तरमानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले खतरे।
2. आतंकवाद से आपका क्या आशय है?
उत्तरनिजी स्वार्थ के लिए राजनीतिक खून-खराबा तथा नागरिक हिंसा
3. महाशक्तियां निशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक मानती है?
उत्तर1. युद्ध की संभावना
2. सैन्य खर्च बचाकर विकास व कल्याण बढ़ाना।
4. विश्वास बहाली के एक उपाय का वर्णन कीजिए।
उत्तरदेशों के बीच सुरक्षा मामलों की सूचना का नियमित आदान-प्रदान
5. शब्द विस्तार लिखिये:-
(i) SARS (ii) START
उत्तर1. Severe Acute Respiratory Syndrome
2. Strategic Arms Reduction Treaty
6. युद्ध का अर्थ क्या है?
उत्तर(i)युद्ध-विनाश
(ii)जन-धन हानि, विकलांगता, विधवायें, अनाथ बच्चे, बीमारियां
7. विश्व में शांति स्थापना के दो उपाय बताइये।
उत्तर(i)एक दूसरे की अखण्डता का सम्मान
(ii)आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप
8. सहयोग मूलक सुरक्षा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तरअपरम्परागत खतरों के लिए सैन्य संघर्ष की बजाय आपसी सहयोग अपनाना।
9. नव-स्वतंत्र देशों के सम्मुख सुरक्षा की दो चुनौतियों का वर्णन करो?
उत्तरपड़ोसी देशो से युद्ध व आंतरिक संघर्ष
10. पश्चिमी देशों में आन्तरिक सुरक्षा के कम महत्व के दो कारण बताइये?
उत्तर1. पश्चिमी देश अपनी सीमा के अन्दर एकीकृत और शांति सम्पन्न हैं।
2. अपनी सीमा में बसे समुदायों तथा वर्गो से कोई खतरा नहीं था।  

चार अंकीय प्रश्न:-
1. तीसरी दुनिया के देशों तथा विकसित देशों की जनता के खतरों के अन्तर को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर(A)तीसरी दुनिया के देशों के खतरे - भुखमरी, बेरोजगारी, जन-संख्या वृद्धि, खराब स्वास्थ्य, आर्थिक - सामाजिक पिछड़ापन आदि
(B)विकसित देशों के खतरे - पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की समाप्ति, वैश्विक तापमान वृद्धि आदि।
2. किसी देश की युद्ध की धमकी मिलने पर उसके पास क्या विकल्प होते है?
उत्तर(A)आत्मसमर्पण करना
(B)अपनी शक्ति का अति प्रदर्शन ताकि शत्रु में भय उत्पन्न हो।
(C)युद्ध का मुकाबला करके आक्रमणकारी को हराना।
3. महामारियां विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। टिप्पणी कीजिये।
उत्तर(A)AIDS, SARS, Mad Cow, Bird Flue का संक्रमण, जिससे मानवजाति को खतरा।
(B) इबोला वायरस, हेंटा वायरस तथा हेपेटाइटिस C जैसी नई बीमारियों का उदय,
(C) मलेरिया, डेंगू, हैजा ने प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर ली है।
4. भारत ने मानव अधिकारों को लागू करने के लिए क्या तरीके अपनाये है?
उत्तर(A)मानवाधिकारों को संवैधनिक व्यवस्था प्रदान
(B)विभिन्न वर्गों से सम्बन्धित आयोग
(C)राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना (12 अक्टूबर 1993)
5. सुरक्षा के परम्परागत उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें
6. सुरक्षा की परम्परागत और अपरम्परागत धरणा में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें
7. अमेरिका पर दिये गये इस चित्रा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तरअमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था पर अधिक घन तथा शांति के मामलों पर कम खर्च किया जाता है। इसका कारण यह हो सकता है कि अमेरिका को लगता है कि सैन्य बल से सुरक्षा को घतरा पहुंचता है और सैन्य बल से ही सुरक्षा कायम रखा जा सकता है। इसलिए कार्टून में लोग इसकी मांग करते दिखाये गये हैं।
8. मानवाधिकार विषयक चर्चा का वर्णन कीजिए?
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखे।
9. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आन्तरिक सुरक्षा का महत्व कम व बाहरी खतरे की आशंका का प्रभाव पश्चिमी देशों पर कैसे पड़ा? वर्णन कीजिए?
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखे।

छः अंकीय प्रश्न:-
1. भारत को अपनी परिस्थिति के अनुसार परम्परागत या अपरम्परागत सुरक्षा, किसे वरीयता देनी चाहिए?
उत्तरभारत के लिए दोनों प्रकार की सुरक्षा आवश्यक है:
(A)परम्परागत के कारण - स्वतंत्रता के बाद अनेक युद्ध 1948, 1962, 1965, 1971, 1999 लड़े, तथा देश के अनेक भागों में अलगाववादी गतिविध है।
(B)अपरम्परागत के कारण - विकासशील देश, गरीबी, बेकारी, साम्प्रदायिकता, सामाजिक आर्थिक पिछड़ा, बीमारियां आदि।
2. क्या हथियारों की मदद से विश्व में शांति सम्भव हो सकती है? अपने विचार व्यक्त करें।
उत्तरनहीं, क्योंकि हथियारों से-
(1)मानवजाति को खतरा
(2)आतंक का वातावरण बनेगा।
(3)मानवजाति के अस्तित्व की समस्या
(4)छोटे देशों पर बड़े देशों का आधिक्य होगा।
(5)सैन्य उद्देश्य की पूर्ति नहीं।
3. सुरक्षा की परम्परागत अवधारणा के रूप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें।
4. अपरम्परागत सुरक्षा के नवीन खतरों के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें।
5. भारत ने अपनी सुरक्षा की क्या रणनीतियां अपनाई हैं? अपने विचार प्रकट करो।
उत्तरस्मरणीय बिन्दु देखें।

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