CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
पुनरावृति नोटस
पाठ-4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
स्मरणीय बिन्दु-
1990 में द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था के टूटने के बाद अमेरिकी प्रभुत्व को सीमित करने के लिए सता के कुछ वैकल्पिक केंद्र उभरकर सामने आए।
यूरोप में यूरोपीय संघ और एशिया में दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) का उदय एक शक्ति के रूप म हुआ।
1948 में मार्शल योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद के रूप में की गई।
यूरोपीय परिषद की स्थापना 1949 में राजनैतिक सहयोग के रूप में की गई।
पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के एकीकरण के लिए 1957 में यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन किया गया।
फरवरी 1992 में मास्ट्रिस्ट संधि के द्वारा यूरोपीय संघ की स्थापना की गई।
यूरोपीय संघ का अपना झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी मुद्रा है।
यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक प्रभाव सबसे जबरदस्त है।
2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। इसका घरेलू उत्पादन 12,000 अरब डॉलर से ज्यादा था जो अमेरिका से थोड़ा-सा ज्यादा ही था।
विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है।
यूरोपीय संघ के ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
1957-पश्चिमी यूरोप के छ: देशों-फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग ने पेरिस संधि पर दस्तखत करके यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन किया।
मार्च 1957-इन्हीं छह देशों ने रोम की संधि के माध्यम से यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) और यूरोपीय एटमी ऊर्जा समुदाय (Euratom) का गठन किया।
जून 1979 में यूरोपीय पार्लियामेंट के गठन के बाद यूरोपीय आर्थिक समुदाय ने राजनीतिक स्वरूप लेना शुरू कर दिया था।
ब्रिटेन और फ्रांस के पास करीब 550 परमाणु हथियार हैं।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार से अलग रखा।
आसियान-दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन जो तीसरी दुनिया के देशों में एकता कायम करने का प्रयास करता है।
1967 में दक्षिण-पूर्व एशिया के पाँच देशों- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड ने मिलकर बैंकाक घोषणा पर हस्ताक्षर कर आसियान की स्थापना की।
2003 में असियान ने आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय, आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय की स्थापना की।
पूरब की ओर चलो-भारत ने 1991 में 'पूरब की ओर चलो' की नीति अपनाई। इससे पूर्वी एशिया के देशों (आसियान, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया) से उसके आर्थिक संबंधो में बढ़ोतरी हुई।
चीन और भारत के बीच 1992 में 33 करोड़ 80 लाख डॉलर का व्यापार था, जो 2006 में बढ़कर 18 अरब हो गया।
शीतयुद्ध के अंत के बाद यूरोपीय संघ, आसियान चीन अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने वाले सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र के रूप में उभर रहे हैं।
अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए बहुत मदद की थी। इसे मार्शल योजना के नाम से जानते है।
संसार से दो ध्रुव्रीय सत्ता की मुक्ति के साथ ही दो संघो की स्थापना हुई, पहली ‘यूरोपीय संघ’ व दूसरी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रो के संगठन ‘आसियान की। इन दोनों की बढ़ती शक्ति को अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने वाले वैकल्पिक केन्द्रो के रूप में देखा जा रहा है।
यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनैतिक तथा सैनिक प्रभाव जबरदस्त रहा। 2005 में इसे विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देखा गया।
यूरोपीय संघ के दो देश फ्रांस तथा ब्रिटेन सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्य हैं तथा इनके पास बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं।
अंतरिक्ष विज्ञान और संचार प्रौद्योगिकी के मामले में यूरोपीय संघ का दुनिया में दूसरा स्थान है।
आसियान के संस्थापकों:- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर तथा थाइलैंड ने 1967 में बैंकाक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये।
आसियान के आर्थिक समुदाय का प्रमुख उद्देश्य आसियान देशों को साझा बाजार तथा सामाजिक, आर्थिक विकास के मदद करना है। इन देशों ने टकराव रहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप के उदाहरण पेश किये जिसे आसियान शैली कहा गया।
विजन दस्तावेज 2020 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बर्हिमुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई।
चीन के शॉक थरैपी के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया। 1978 में चीन ने आर्थिक सुधारों और ‘खुले द्वार की नीति’ की घोषणा की। SEZ (सेज) के निर्माण से विदेशी व्यापार की बढ़ोत्तरी हुई।
भारत व चीन के बीच 1962 में अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाको व लद्दाख के अक्साइ-चिन क्षेत्रों को लेकर युद्ध हुआ। 1976 तक दोनो देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध समाप्त रहे। दिसम्बर 1988 में राजीव गांधी के चीनी दौरे के बाद से टकराव टालने के प्रयास बढ़े। हाल के वर्षों में भारत-चीन ने अपने विवादों को अलग रखते हुए पारस्परिक आर्थिक और व्यापारिक सम्बन्धों को बढ़ाया है।
जापान ने दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात बड़ी तेजी से प्रगति की। जापान अर्थव्यवस्था की दृष्टि से विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
यूरोपीय संघ के गठन के उद्देश्य:-
एक समान विदेश व सुरक्षा नीति।
आंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मामलों पर सहयोग।
एक समान मुद्रा का चलन।
वीजा मुक्त आवागमन।
उद्देश्यों की प्राप्ति:-
यूरोपीय संघ ने आर्थिक सहयोगवाली संस्था से बदलकर राजनैतिक संस्था का रूप ले लिया है।
यूरोपीय संघ एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह कार्य करने लगा है।
इसका अपना झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी एक मुद्रा है।
अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीति बना ली है।
यूरोपीय संघ का झंडा 12 सोने के सितारों के घेरे के रूप में वहाँ के लोगों की पूर्णता, समग्रता, एकता और मेलमिलाप का प्रतीक है।
यूरोपीय संघ को ताकतवार बनाने वाले कारक या विशेषताएँ :-
2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पादन अमेरिका से भी ज्यादा था।
इसकी मुद्रा यूरो, अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन गई है।
विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है।
इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव यूरोप, एशिया और अफ्रीका के देशों पर है।
यह विश्व व्यापार संगठन के अंदर एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में कार्य करता है। इसके दो सदस्य देश ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है।
इसके चलते यूरोपीय संघ अमेरिका समेत सभी राष्ट्रों की नीतियों को प्रभावित करता है।
यूरोपीय संघ के दो देश ब्रिटेन और फ्रांस परमाणु शक्ति सम्पन्न है।
अधिराष्ट्रीय संगठन के तौर पर यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है।
यूरोपीय संघ की कमजोरियाँ :-
इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीति है जो कई बार एक-दूसरे के खिलाफ भी होती हैं। जैसे-इराक पर हमले के मामले में।
यूरोप के कुछ हिस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी है।
डेनमार्क और स्वीडन ने मास्ट्रिस्स संधि और साझी यूरोपीय मुद्रा यूरो को मानने का विरोध किया।
यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमेरिकी गठबंधन में थे।
ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 मे एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग हो गया है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) –
अगस्त 1967 में इस क्षेत्र के पाँच देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर ओर थाईलैंड ने बैंकॉक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान' की स्थापना की।
आसियान के मुख्य उद्देश्य :-
सदस्य देशों के आर्थिक विकास को तेज करना।
इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हासिल करना।
कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का पालन करके क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।
अासियान शैली:-
अनौपचारिक, टकरावरहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप का नया उदाहरण पेश करके आसियान ने काफी यश कमाया है। इसे ही 'आसियान शैली' कहा जाने लगा।
आसयान के प्रमुख स्तंभ-
1. आसियान सुरक्षा समुदाय
2) आसियान आर्थिक समुदाय
3) सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय
आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाने की सहमति पर आधारित है।
आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है।
आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय का उद्देश्य है कि आसियान देशों के बीच टकराव की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।
आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता:-
आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति खासतौर से भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश के मामले में प्रदर्शित होती है।
आसियान ने निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है।
अमेरिका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में रूचि दिखाई है।
1991 के बाद भारत ने 'पूरब की ओर’ की नीति अपनाई है।
भारत ने आसियान के दो सदस्य देशों सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है।
भारत आसियान के साथ भी मुक्त व्यापार संधि करने का प्रयास कर रहा है।
आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशो, सहभागी सदस्यों और बाकी गैर-क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद और परामर्श करने की नीति में है।
यह एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराता है।
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने आसियान देशों की यात्रा की तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर समझौते किए।
माओ की नेतृत्व में चीन का विकास :-
1949 की क्रांति के द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई। शुरू में यहाँ साम्यवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया गया था। लेकिन इसके कारण चीन को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा-
चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए विशाल औद्योगिक अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया।
चीन अपने नागरिको को रोजगार, स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने के मामले में विकसित देशों से भी आगे निकल गया लेकिन बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधा उत्पन्न कर रही थी।
कृषि परम्परागत तरीकों पर आधारित होने के कारण वहाँ के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी।
चीन में सुधारों की पहल:-
चीन ने 1972 में अमेरिका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया।
1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेवा और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुलेद्वार की नीति का घोषणा की।
1982 में खेती का निजीकरण किया गया।
1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया। इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकॉनामिक जोन-SEZ) स्थापित किए गए।
चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया हैं।
चीनी सुधारों का नकारात्मक पहलू:-
वहाँ आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ।
पूँजीवादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी है।
वहाँ महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है।
गाँव व शहर के और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा है।
विकास की गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी हानि पहुँचाई है।
चीन में प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार बढ़ा है।
चीन के साथ भारत के संबंध:-
विवाद की क्षेत्र:-
1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गये।
चीन ने 1962 में लद्दाख और अरूणचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण किया।
चीन द्वारा पाकिस्तान की मदद देना।
चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है।
बांग्लादेश तथा म्यांमार से चीन के सैनिक संबंध की भारतीय हिती क खिलाफ माना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव की पेश किया। चीन द्वारा वीटो पावर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया।
भारत ने अजहर मसूद के आतंवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया, जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया।
चीन की महत्त्वाकांक्षी योजना Ones Belt One Road, जो कि POK से होती हुई गुजरेगी, उसे भारत को घेरने की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है।
सहयोग का दौर (क्षेत्र):-
1970 के दशक में चीनी नेतृत्व बदलने से अब वैचारिक मुद्दों की जगह व्यावहारिक मुद्दे प्रमुख हो रहे है।
1988 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने चीन की यात्रा की जिसके बाद सीमा विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने की पहल की गई।
दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते किए गए है।
1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है।
विदेशों में ऊर्जा सौदा हासिल करने के मामलों में भी दोनों देश सहयोग द्वारा हल निकालने पर राजी हुए है।
CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ-4
सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
1. तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम वे :
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।
उत्तर- (क) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना (1948)
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना (1967)
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना (1992)
(घ) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश (2001)
2. 'ASEAN Way' या आसियान शैली क्या थी?
(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षानीति है।
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर- (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
3. इनमें से किसने 'खुले द्वार' की नीति अपनाई?
(क) चीन
(ख) यूरोपीय संघ
(ग) जापान
(घ) अमरीका
उत्तर- (क) चीन।
4. खाली स्थान भरें-
(क) 1992 में भारत और चीन के बीच ....... और ....... को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ....... और ....... करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में ....... के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतकाल समाप्त किया।
(घ) ....... योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ड़) ....... आसियान का एक स्तंभ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर- (क) अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों, लद्दाख के अक्साई-चिन क्षेत्र
(ख) आर्थिक विकास को तेज करना, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास प्राप्त
(ग) अमरीका
(घ) मार्शल
(ड़) आसियान सुरक्षा समुदाय
5. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर- क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के निम्न उद्देश्य हैं-
क्षेत्रीय संगठन के द्वारा आर्थिक विकास में वृद्धि करके सामाजिक और सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना।
क्षेत्रीय संगठन के माध्यम से कानून के शासन की स्थापना करके क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।
विभिन्न क्षेत्रीय देशों को एक मंच प्रदान करना।
क्षेत्रीय विवादों को निपटाने के लिए बनी व्यवस्था में बदलाव लाना।
सामाजिक, सांस्कृतिक,आर्थिक, तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
शेष क्षेत्रीय संगठन व संयुक्त राष्ट्रसंघ को साथ लेकर कार्य करना। सहमति द्वारा विवाद को निपटने का प्रयास करना।
सभी देशों को अंतर्निर्भरता के माध्यम से सहयोग करने के लिए प्रेरित करना।
6. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?
उत्तर- भौगोलिक निकटता की वजह से क्षेत्रीय संगठनों में एकता और ज़्यादा बढ़ जाती है। भौगोलिक निकटता से दो देशों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक संबंधों के साथ आपसी योगदान, विश्वास, मित्रता की भावना भी बढ़ती है। दोनों देश एक-दूसरे के यहाँ आसानी से आ-जा सकते हैं। इससे उनके बीच समस्याएँ कम हो जाएँगी और सहयोग-सहमति को बढ़ावा मिलेगा, ना कि युद्ध की। क्षेत्रीय संगठन आपस में व्यापार या आर्थिक सहयोग करके अपनी जरूरतों को आसानी से कम दामों पर पूरा कर सकते हैं, क्योंकि इससे अनेक देशों से आयात में कमी आएगी तथा कर भी कम देना पड़ेगा। सड़क तथा रेल मार्गों के द्वारा नागरिक तथा सामान आसानी से एक-दूसरी जगह तक पहुँचाया जा सकता है। सामूहिक सुरक्षा एक महत्वपूर्ण तथ्य है, क्योंकि यदि एक पर आपदा या संकट या आक्रमण होता है तो सब मिलकर उस देश को सहयोग करेंगे। इससे सुरक्षा की भावना बनी रहेगी |
7. 'आसियान विजन-2020' की मुख्य-मुख्य बातें क्या हैं?
उत्तर- आलियान विजन-2020 की मुख्य बातें निम्न हैं-
'आसियान विजन-2020' में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी जाएगी।
टकराव के स्थान पर बातचीत की जाएगी।
इसी तरिके के द्वारा आसियान ने कंबोडिया के टकराव को खत्म किया, पूर्वी तिमोर के संकट को संभाला और पूर्व-एशियाई सहयोग पर बातचीत के लिए 1999 से नियमित रूप से वार्षिक बैठक आयोजित की।
यह एशिया का एकमात्र संगठन है जो राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर विश्व शक्तियों पर चर्चा के लिए राजनैतिक मंच उपलब्ध कराता है।
8. आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।
उत्तर- एशिया और तीसरी दुनिया के देशों में एकता बनाय रखने के लिए के प्रयास स्वरूप 1967 के बैंकॉक घोषणा में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) की स्थापना की। इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड इसके संस्थापक देश हैं।
आसियान के तीन मुख्य स्तंभ हैं-
आसियान सुरक्षा समुदाय- यह आसियान देशों के मध्य विवादों को खत्म कराने और सैनिक टकराव तक न जाने की सहमति पर आधारित हैं।
आसियान आर्थिक समुदाय- आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा-बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस इलाके के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायता करना है।
आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय- इसका औचित्य आसियान देशों के बीच सामाजिक व सांस्कृतिक मेल-मिलाप की स्थापना करना है।
आसियान समुदाय के उद्देश्य निम्न हैं-
आसियान का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को तीव्र करना और इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना है।
कानून का शासन और संयुक्त राष्ट्र के कायदों पर आधारित क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना आसियान का औचित्य है।
इस तरह आसियान दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच व्यापार तथा सामाजिक-आर्थिक संबंधों को कायम करने का एक महत्वपूर्ण साझा मंच है।
9. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
उत्तर- 1978 में नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और 'खुले द्वार की नीति' की घोषणा की। 1972 में अमरीका ने चीन से संबंध बनाकर चीन के आर्थिक और राजनैतिक एकांतवास को समाप्त किया। चीन ने 'शौक थेरेपी' पर अमल करने की बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध तरिके से खोला। चीन ने बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाया।
1982 में चीन में खेती का निजीकरण किया गया। 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया। चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। 1997 के वित्तीय संकट के समय चीन ने आसियान देशों की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने में काफी सहायता की। वर्तमान चीनी अर्थव्यवस्था 1950 की चीनी साम्यवादी अर्थव्यवस्था से पूर्णत: भिन्न है। इसी वजह से आज वह महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
10. किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियाँ सुलझाई? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें, जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात यूरोपीय देशों के नेता या विद्वान विभिन्न 'यूरोप के सवालों' को लेकर परेशान थे, क्योंकि यूरोपीय देशों की मान्यताएँ और व्यवस्थाएँ खत्म हो चुकी थीं, जिन पर यूरोप खड़ा हुआ था। 1945 के पश्चात अमरीका ने यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था के गठन में काफी सहायता की। मार्शल योजना यूरोपीय देशों की आर्थिक सहायता के लिए अमरीका द्वारा आरंभ की गई थी।
निम्न कदमों से होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई-
1945 में अमरीका ने मार्शल योजना के द्वारा यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन में सहायता की थी।
1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की, जिसके द्वारा पश्चिमी यूरोप के देशों की आर्थिक मदद की गई।
1949 में यूरोपीय परिषद का गठन पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण के लिए किया गया।
1957 में यूरोपियन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ।
1973 में डेनमार्क, आयरलैंड और ब्रिटेन ने यूरोपीय समुदाय की सदस्यता ली।
जून 1979 में यूरोपीय संसद के लिए प्रथम प्रत्यक्ष चुनाव हुआ।
जून 1985 शांगेन संधि ने यूरोपीय समुदाय के देशों के मध्य सीमा-नियंत्रण समाप्त किया।
1981 में यूनान (ग्रीस), 1986 में स्पेन और पुर्तगाल यूरोपीय समुदाय के सदस्य बनें।
अक्टूबर 1990 में जर्मनी का एकीकरण भी यूरोपीय समुदाय के प्रयत्नों से किया गया।
फरवरी 1992 में यूरोपीय संघ के गठन के लिए मास्ट्रिस्ट संधि पर हस्ताक्षर हुए।
इस तरह इन सब कदमों के पश्चात, जो 1945 से आरंभ हुए, अंतत: 1992 में यूरोपीय देशों की एकता, मित्रता, व्यापार और सहयोग के उद्देश्य को लेकर यूरोपीय संघ की स्थापना की गई।
11. यूरोपीय संघ को क्या चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं?
उत्तर- यूरोपीय संघ यूरोपीय देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपीय संघ की स्थापना 1992 में हुई थी। यूरोपीय संघ का अपना झंडा, गान तथा स्थापना दिवस है। यूरोपीय देशों की अपनी मुद्रा है, जिसे 'यूरो' कहते हैं, यूरोपीय संघ में लगातार नए सदस्य जुड़ते रहते है, जिससे यह पता चलता हैं कि यूरोपीय संघ कितना प्रभावशाली है। 2005 में यूरोपीय संघ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। इसका सकल घरेलू उत्पादन 12,000 अरब डॉलर से भी अधिक था। विश्व व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी अमरीका से तीन गुनी अधिक है। यूरोपीय संघ के दो सदस्य देश ब्रिटेन व फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। अंतरिक्ष विज्ञान तथा संचार प्रौद्योगिकी के मामले में यूरोपीय संघ दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इसके पास परमाणु हथियार हैं। यूरोपीय संघ के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। ये सभी चीजें यूरोपीय संघ को एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं।
12. 'चीन और भारत की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौजूदा एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे सकने की क्षमता है।' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने तर्कों से अपने विचारों को पुष्ट करें।
उत्तर- 1970 के दशक में चीन का राजनीतिक प्रभाव बदल गया। इससे भारत के साथ संबंधों में काफी सुधार आया। चीन और भारत दोनों ही खुद को विश्व राजनीति की उभरती शक्ति मानते हैं। दोनों ही एशिया की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाते हैं। दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान और तकनीक क्षेत्र में योगदान और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने के लिए समझौते भी किए। 1992 में भारत और चीन के मध्य 33 करोड़, 80 लाख का द्वि-पक्षीय व्यापार हुआ था। यह बढ़कर 2006 में 18 अरब डॉलर हो चुका था। भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन के संबंधों में एक जैसी नीतियाँ अपनाई। परिवहन और संचार मार्गों की बढ़ोतरी, समान आर्थिक हित ने भारत और चीन के संबंध में सकारात्मक बढ़ोतरी की है। इन सबसे हम पता लगा सकते हैं कि चीन और भारत दोनों का आपसी सहयोग, मेल-मिलाप एक-दूसरे के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यदि इसी तरह चीन का आर्थिक विकास होता रहा तो वह अमरीका से भी आगे निकल जाएगा। भारत विश्व का सबस विशाल बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत और चीन दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश रहे हैं। भारत और चीन में विश्व के सबसे ज़्यादा लोग रहे हैं। 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा भी लोकप्रिय है।
13. 'मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है।' इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर- यह कथन पूर्णतरूप से सत्य है कि मूल्यों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात सारे क्षेत्रीय संगठन उभर कर सामने आए। जैसे यूरोप में यूरोपीय संघ तथा अन्य यूरोपीय आर्थिक तथा सामाजिक, राजनैतिक संगठन। एशिया में आसियान, सार्क गुटनिरपेक्ष संगठन, आदि। क्षेत्रीय संगठन अपने क्षेत्र विशेष में शांति व समृद्धि तथा सुरक्षा का वातावरण बनाए रखने के लिए तटपर हैं। सामूहिक सुरक्षा के रूप में क्षेत्रीय संगठन और भी अधिक मुख्य भूमिका निभाते हैं। ये क्षेत्रीय संगठन संबंधित देशों के आर्थिक विकास को ज़तदा बढ़ावा देते हैं तथा उन्हें युद्ध से दूर रखने का प्रयास करते हैं, जिससे विश्व में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहे।
क्षेत्रीय संगठन आपस में आर्थिक-व्यापारिक, सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी सहयोग करते हैं, जिससे वे ज़्यादा-से-ज़्यादा वृद्धि कर सकें। क्षेत्रीय संगठन इन देशों में पूँजी निवेश, शिक्षा,व्यापार, तकनीकी, आदि क्षेत्रों में सहायता करके संबंधों को गतिशील बनाए रखते हैं। क्षेत्रीय संगठनों में आपस में प्रत्येक वर्ष शिखर सम्मेलन भी होता है, जिसमें वे भविष्य के लिए योजनाएँ बनाते हैं, जिससे संगठन में गतिशीलता बनी रहती है।
14. भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहतर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है? अपने सुझाव भी दीजिए।
उत्तर- यह माना जाता है कि प्राचीन काल से ही भारत-चीन के बीच घनिष्ट संबंध रहे हैं। बौद्ध धर्म की जन्मभूमि भारत है, जबकि इसका प्रचार-प्रसार चीन में ज़्यादा हुआ है। 1949 में चीन की साम्यवादी सरकार को सबसे पहले भारत ने समर्थन दिया था। पायर के अनुसार, "साम्यवादी चीन के प्रति नेहरू और उनके सहयोगियों का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से तुष्टिकारी था।” भारत ने अमरीका की उन नीतियों की सर्वदा आलोचना की जो चीन को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों या संस्थाओं में 'उचित स्थान' दिलाने में रुकावट प्रस्तुत करती थी।
भारत और चीन के बीच विवाद के निम्न मामले रहे हैं-
तिब्बत समस्या- पहले तिब्बत भारत का क्षेत्र था। 1950 में चीन सरकार ने तिब्बत को स्वतंत्र कराने की घोषणा की । अब तिब्बत चीन के अधिकार क्षेत्र में है। 1959 में दलाईलामा (धार्मिक गुरु) को चीन ने कठोरता से कुचल दिया, क्योंकि इन्होंने चीनी शासन के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। दलाईलामा ने भारत में शरण ली। 5 जनवरी, 2000 को तिब्बती धर्मगुरु करमापा ने भारत में शरण ली।
भारत-चीन सीमा विवाद- 1950-51 में साम्यवादी चीन के नक्शे में भारत के एक बढ़े भाग को चीन का अंग दिखाया गया है। 1954 में चीन ने एक पत्र भेजकर भारतीय सेना पर बूजे नामक स्थान पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया और कहा कि भारत-चीन के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हुआ। अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और अक्साई-चिन क्षेत्र पर दोनों में समय-समय पर प्रतिस्पर्धा बनी हुई है।
1962 का युद्ध- 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने और भारत-चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए। अरुणाचल प्रदेश के इलाके और अक्साई चिन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी दावे के चलते 1962 में युद्ध हो गया।
चीन-पाकिस्तान संबंध- चीन पाकिस्तान को सैनिक सहायता देता है और हथियार आपूर्ति करता है, जिसे वह भारत के विरूद्ध प्रयोग करता है।
भारत ने लगातार अच्छे संबंध बनाने का प्रयास किया है। इसी के चलते आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी व सांस्कृतिक मदद करने के लिए संयुक्त आयोग का गठन किया गया। भारत व चीनी नौसेनाओं में पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास 15-18 सितंबर, 2008 में किया गया। भारत-चीन केबीच हॉटलाइन सेवा शुरू की गई। इन सबसे पता चलता है कि भारत-चीन संबंधों में पिछले वर्षों में काफी सुधार आया है।
भारत-चीन सीमा विवाद अभी भी बना है, जिसे आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए। आतंकवादी गतिविधियों को भी रोका जाना चाहिए। चीन द्वारा पाकिस्तान को सेना तथा भारत के विरूद्ध हथियारों की सप्लाई भी नहीं करनी चाहिए।
सीबीएसई कक्षा -12 राजनीति विज्ञान
महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ-4
सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र
एक अंकीय प्रश्न:-
1. विश्व राजनीति में दो ध्रुवीयता समाप्त होने के बाद उभरने वाले सत्ता के दो वैकल्पिक केन्द्र के नाम बताइये?
उत्तरयूरोपीय संघ व आसियान
2. किस योजना के तहत 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगइन की स्थापना की गई?
उत्तरमार्शल योजना
3. यूरोपीयन इकॉनोमिक कम्युनिटी का गठन कब हुआ?
उत्तर1957
4. यूरोपीय संघ की स्थापना कब हुई?
उत्तर1992
5. यूरोपीय संघ की मुद्रा का नाम बताइये? इसे कितने देशों ने अपनाया।
उत्तरयूरो 12 देशों ने अपनाया।
6. किस देश ने ‘खुले द्वार’ की नीति को अपनाया किस वर्ष में।
उत्तरचीन 1978
7. आसियान (ASEAN) का पूर्ण रूप लिखिए?
उत्तरदक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन
8. आसियान के संस्थापक दो देशों के नाम बताएं?
उत्तरइंडोनेशिया, मलेशिया।
9. भारत ने किन दो आसियान सदस्यों के साथ मुक्त-व्यापार समझौता किया?
उत्तरसिंगापुर, थाईलैंड।
10. यूरोपीय संघ के दो देशों के नाम बताए जो सुरक्षा परषिद के भी सदस्य हैं।
उत्तरब्रिटेन, फ्रांस
11. चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य कब बना था?
उत्तर2001
दो अंकीय प्रश्न:-
1. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर- अपने क्षेत्रों में एतिहासिक दुश्मनी व कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधन ढूंढ़ना।
- अपने क्षेत्रों में शांतिपूर्ण और सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था का विकास करना।
2. चीन की नई आर्थिक नीति के दो विपरीत प्रभाव बताइये?
उत्तर- बेरोजगारी में वृद्धि।
- गांव और शहर के लोगों की आय में अन्तर।
3. मार्शल योजना क्या थी?
उत्तर1945 के बाद यूरोप के देशों में मेल-मिलाप को शीतयुद्ध से मदद मिली। अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था ने पुनर्गठन के लिये मदद की जिसे मार्शल योजना के नाम से जाना गया।
4. SEZ से क्या अभिप्राय है?
उत्तरSpecial Economic Zone (SEZ) के निर्माण से विदेशी व्यापार में वृद्धि। चीन विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिये सबसे आकर्षक देश बन कर उभरा।
5. आसियान के दो उद्देश्य बताइये?
उत्तर(1) आर्थिक विकास तेज करना।
(2) सामाजिक व सांस्कृतिक व प्रौद्योगिक विकास आदि।
6. चीन ने विदेशी व्यापार में वृद्धि लाने के लिए किन दो नीतियों को अपनाया?
उत्तर- 1978 खुले द्वार की नीति
- SEZ नीति
7. यूरोपीय संघ के झण्डे के विषय में संक्षिप्त विवरण दीजिए?
उत्तर- सोने के रंग के सितारों का वृत्त जो यूरोपीय संघ की एकता को दर्शाता है।
- 12 सितारे वहां इस संख्या को पारंपरिक रूप से पूर्णता, समग्रता और एकता का प्रतीक माना जाता है।
8. आसियान के झण्डे के विषय में बताइये?
उत्तर- आसियान के प्रतीक-चिन्ह में धन की दस बालियों दक्षिण-पूर्व एशिया के दस देशों को दर्शाती है।
- जो आपस में मित्रता व एकता के धागे में बंधे हैं। वृत्त आसियान की एकता का प्रतीक है।
चार अंकीय प्रश्न:-
1. यूरोपीय संघ के चार उद्देश्य बताइये।
उत्तर- शांति स्थापित करने के उद्देश्य से सांझी सुरक्षा व विदेश नीति बनाना।
- व्यक्तियों, वस्तुओं और पूंजी का आवागमन।
- यूरोपीय सदस्य देशों की कृषि और उद्योग धंधे का विकास।
- पर्यावरण सुधार |
2. क्षेत्रीय संगठनों पर भौगोलिक निकटता का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर- क्षेत्रीय संगठन मजबूत होता है?
- समस्याएं एक समान होती हैं। (द्वितीय विश्व युद्ध व उपनिवेश का सामना)
- गरीबी, राष्ट्र-निर्माण, आर्थिक पिछड़ापन।
- समस्याओं का मिलकर सामना करना।
3. आसियान विजन 2020 की मुख्य क्या बाते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की बर्हिमुखी भूमिका को महत्व देना।
- संवाद और परामर्श की नीति।
- एशियाई देशों के साथ व्यापार व निवेश पर ध्यान देना।
- क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करना।
4. भारत-चीन के मध्य विवाद का वर्णन करें?
उत्तर- सीमा विवाद:- चीन ने पाकिस्तान के साथ संध् िकरके कश्मीर के कुछ भाग पर अधिकार।
- भारत के अरुणाचल प्रदेश पर चीन का दावा करना।
- 1962 का भारत-चीन युद्ध लद्दाख व अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करना।
- 1965 भारत-पाक युद्ध में चीन ने पाकिस्तान की मदद की।
- चीन द्वारा भारत के परमाणु-परीक्षण का विरोध।
5. चित्र को ध्यानपूर्वक देखिए तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए?
(क) विश्व में सबसे ज्यादा साइकिल चीन में इस्तेमाल की जाती है? आपके विचार में यह क्या संदेश देता है।
(ख) साइकिल के दो पहिए किस विचार धरा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उत्तर(क)संदेश- आज विश्व में निम्न कीमत की वस्तुएं चीन द्वारा पूंजीवादी देशों को निर्यात की जाती है।
(ख)दो पहिए- साम्यवाद और पूंजीवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं 1978 में चीन ने ‘खुले द्वार’ तथा SEZ की नीति अपनाई?
6. अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान के सशक्तिकरण के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
उत्तर- यूरोपीय संघ की तरह इनका अपना झण्डा, गान, मुद्रा व स्थापना दिवस होना चाहिए।
- अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि करना।
- व्यापार को बढ़ावा देना?
- सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल स्थापित करना।
- यूरोपीय संघ की तरह UNO की गतिविधियों में भाग लेना।
छः अंकीय प्रश्न:-
1. यूरोपीय संघ के आर्थिक क्षेत्र में क्या प्रभाव हुए?
उत्तर2005 में इसका सकल घरेलू उत्पादन 12000 अरब डॉलर हो गया जो अमेरिका सी भी ज्यादा था।
- यूरो मुद्रा, अमेरिकी डॉलर के लिये खतरा।
- विश्व व्यापार संगठनों के अन्दर समूह के रूप में कार्य करना।
- अमेरिकी नीतियां भी इससे प्रभावित।
2. यूरोपीय संघ की सांझी विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
उत्तर- अपना एक झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी एक मुद्रा।
- समृद्ध सैनिक क्षमता।
- टकराव रहित, मेल मिलाप की सोच।
- दो राष्ट्रो का सुरक्षा परिषद् का स्थाई सदस्य होना।
3. चीनी अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- खुले द्वार की नीति
- शॉक थेरेपी की जगह, चरणबद्ध अर्थव्यवस्था
- 1982 में खेती का निजीकरण
- विशेष आर्थिक क्षेत्र की व्यवस्था
- निजी सम्पत्ति को आंशिक रूप से स्वीकारना।
- अर्थव्यवस्था समाजवाद से पूंजीवाद की ओर बढ़ती।
4. राजीव गांधी द्वारा 1988 में चीन यात्रा के पश्चात् भारत-चीन संबंधो को नई दिशा प्राप्त हुई है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 1988 में भारत-चीन संबंध सुधारने का प्रयास वार्ता का तरीका अपनाया गया।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
- विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में परस्पर सहयोग
- व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने के लिए समझौते किये
- दोनों देशों ने ऊर्जा सौदा प्राप्त करने तथा विश्व व्यापार संगठन पर समान नीति अपनाई।
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